
मेरठ। ऑनलाइन जुआ और सट्टे (online satta) का कारोबार करने वालों की मुसीबत अब बढ़ने वाली है। सट्टा अब गैरजमानती अपराध की श्रेणी में आ गया है। वहीं आनलाइन जुआ (online gambling) के लिए भी कठोर कानून बना दिया गया है। पहले ऑनलाइन जुआ अपराध की श्रेणी में नहीं था। राज्य विधि आयोग ने अंग्रेजों के जमाने में बने सार्वजनिक जुआ अधिनियम को कठोर बना दिया है। सरकार जल्द जुआ को लेकर प्रदेश में अपना अलग कानून लागू करेगी। इस कानून के तहत पकड़े जाने पर अधिकतम तीन साल की सजा और जुर्माना राशि का प्रावधान किया गया है। खास बात यह है कि इस नए कानून के प्रारूप को बीते एक दशक में तेजी से पनपे जुआ के आनलाइन स्वरूप को ध्यान में रखकर बनाया गया है। प्रदेश में जुआ घरों का संचालन करने वालों व सटोरियों का नेटवर्क तोड़ने के लिए अहम सिफारिशें की गई हैं।
अधिवक्ता गजेंंद्र धामा ने बताया कि केंद्र सरकार सार्वजनिक जुआ अधिनियम को खत्म करने की तैयारी में है। केंद्र ने अब राज्यों को जुआ अधिनियम बनाने का अधिकार दिया है। इसी के तहत प्रदेश की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उप्र सार्वजनिक जुआ निवारण विधेयक का प्रारूप तैयार किया है। वर्तमान में सार्वजनिक स्थान पर जुआ खेलते पकड़े जाने पर तीन माह की सजा व 50 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। आयोग ने इसे बढ़ाकर एक साल तक की सजा व पांच हजार रुपये जुर्माना किए जाने की संस्तुति की है। साथ ही आयोग ने ऑनलाइन गैंबलिंग, जुआ घर के संचालन व सट्टे को गैरजमानती अपराध बनाते हुए तीन साल तक की सजा तथा कोर्ट जो चाहे वह जुर्माना राशि तय करने की संस्तुति की है।
पुलिस को मिला अधिकार
गजेंद्र धामा ने बताया कि अब पुलिस को क्रिकेट मैच से लेकर अन्य खेलों में करोड़ों रुपये का सट्टा खिलवाने वालों पर कानूनी शिकंजा कसने के लिए आइपीसी की धाराओं का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। आयोग ने अपनी सिफारिश में यह प्रस्ताव किया है कि यदि कहीं जुआ घर या किसी परिसर में सट्टे का संचालन हो रहा होगा, तो यह माना जाएगा कि वहां बरामद रकम जुआ से संबंधित ही है और वहां मौजूद सभी लोग जुआ खेल रहे थे।
Published on:
16 Jun 2021 10:23 am
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