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वेस्ट यूपी में ठिकाना बनाते रहे हैं पाक जासूस, पिछले दो दशक में इस वजह से इनके मंसूबे हो गए फेल

वेस्ट यूपी के अधिकतर जनपदों में पिछले 18 वर्षों में दो दर्जन से ज्यादा पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले पकड़े गए  

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meerut

वेस्ट यूपी में इसलिए ठिकाना बनाते रहे हैं पाक जासूस, पिछले दो दशक में इस वजह से इनके मंसूबे हो गए फेल

मेरठ। पाकिस्तान के लिए वेस्ट यूपी में जासूसी करने का फिर मामला पकड़ में आया है। इस बार सीमा के उस पार से नहीं बल्कि यह काम करने वाला भारतीय सेना का ही जवान निकला है। मेरठ छावनी में सिग्नल रेजिमेंट में तैनात सिग्नलमैन कंचन सिंह पर वेस्टर्न कमांड को मिले इनपुट पर तीन महीने से नजर रखी जा रही थी। इसके बाद सेना के राडार पर यह जवान आया तो सबकुछ खुलता चल गया। सेना अफसर आरोपी जवान से पूछताछ कर रहे हैं, माना जा रहा है कि कर्इ महत्वपूर्ण बातें इससे पता चलेंगी आैर वे जानकारियां भी जो आरोपी जवान पाकिस्तान एजेंसियों को पिछले दो साल से मुहैया करा रहा था।

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देश के लिए बेहद अहम है मेरठ छावनी

पश्चिम उत्तर प्रदेश सब-एरिया हेडक्वार्टर का देश की सेना में अहम स्थान आैर योगदान है। देश की यह दूसरी सबसे बड़ी छावनी बतायी जाती है। दुश्मन फौजें आैर एजेंसियां इस बात को बखूबी जानती हैं, इसलिए यहां की सेना हमेशा अलर्ट रहती है। छावनी इलाका शहर से जुड़ा होने के कारण सेना यहां अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करती है, ताकि कोर्इ गलत व्यक्ति घुसकर अपने मंसूबों में कामयाब न हो सके। इसके बावजूद पिछले 18 वर्षों में पाकिस्तान की सेना आैर एजेंसियों के लिए जासूसी करने वालों की पैठ मेरठ आैर वेस्ट यूपी के अन्य जनपदों में बढ़ी है।

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पिछले 18 वर्षों में पकड़े गए हैं 24

वेस्ट यूपी में पिछले 18 वर्षों में 24 एेसे आरोपी पकड़े गए, जो पाकिस्तान को यहां की जानकारी दे रहे थे। पश्चिम उत्तर प्रदेश सब-एरिया हेडक्वार्टर के अंडर में वेस्ट यूपी के तमाम जिले आते हैं। मेरठ आैर आसपास के जनपदों में रहकर इन्होंने मेरठ छावनी की जासूसी की, लेकिन सेना आैर पुलिस ने इन्हें शिकंजे में ले लिया। पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का पहला मामला 2001में हापुड़ में सामने आया था, जब पाकिस्तान के कैंप में ट्रेनिंग लेने वाला एक आतंकी हापुड़ में मदरसे में पकड़ा गया था। 2001 में ही सहारनपुर में आर्इएसआर्इ का एक एजेंट पकड़ा गया था। 2002 में गाजियाबाद में एक आर्इएसआर्इ एजेंट मुठभेड़ में मार गिराया गया। इसके बाद उसी साल हापुड़ से लश्कर-ए-तैयबा के चार आंतकी पकड़े गए थे। 2002 में ही मुरादाबाद में पाकिस्तान को भारतीय सेना के गोपनीय दस्तावेज मुहैया कराने वाला एक एजेंट पकड़ा गया था। इसके ठीक बाद मुरादाबाद में हिज्बुल मुजाहिद्दीन से जुड़े पांच आतंकियों को सेना व पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उसी साल मुजफ्फरनगर से एक आर्इएसआर्इ एजेंट गिरफ्तार किया गया था। अगले साल 2003 में मुजफ्फरनगर में जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी गिरफ्तार कर लिए गए थे। 2004 में मेरठ से एक महिला आर्इएसआर्इ एजेंट पकड़ी गर्इ थी। फिर अगले ही साल एक आर्इएसआर्इ एजेंट गिरफ्तार किया गया था। 2007 में बिजनौर में भारी मात्रा में आरडीएक्स के साथ हूजी के दो आतंकी पकड़े गए थे। 2008 में सीआरपीएफ कैंप में आतंकी हमले से जुड़े लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी गिरतार किया गया था। 2009 में सहारनपुर में एक आर्इएसआर्इ एजेंट जासूसी करते गिरफ्तार किया गया। 2014 में मेरठ से एक आर्इएसआर्इ एजेंट पकड़ा गया था। अगले ही साल 2015 में मेरठ से एसटीएफ की टीम ने आर्इएसआर्इ जासूस गिरफ्तार किया। इसके बाद अब मेरठ छावनी में सिग्नल रेजिमेंट के जवान कंचन सिंह को पाकिस्तान एजेंसियों के लिए जासूूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।