
मेरठ. जिले के मवाना और परीक्षितगढ ब्लॉक के गांवों में इन दिनों सांपों की दहशत है। हालात यह है कि इस क्षेत्र के ग्रामीण रातें जागकर काट रहे हैं। घर में जरा सी आहट या सरसराहट होने पर लोग अलर्ट हो जाते हैं। वहीं आलमगीरपुर बढ़ला गांव में तो सापों को पकड़ने के लिए सपेरों को बुला लिया गया है। यह गांव मवाना ब्लॉक अंतगर्त आता है।
गांव में दो दिन पहले ही अपने घर में सो रहीं दो बच्चियों को सांप ने डंस लिया था। सांप के काटने से दोनों मासूम बच्चियों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद ग्रामीणों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता सताने लगी हैं। इलाके के तोफापुर, नंगला गोसाई, चितवाना शेरपुर, भागूपुर, नारंगपुर गांव में हालात ये है कि यहां पर सांपों को पकड़ने के लिए ग्रामीणों ने अपने खर्चें पर सपेरों को तैनात किया है।
एक दिन में पकड़ रहे दो से तीन सांप
सांपों को पकड़ने के लिए तीन सपेरे क्षेत्र के गांवों में घूम रहे हैं। ये सपेरे प्रतिदिन दो से तीन सांप पकड़ रहे हैं। पकड़ने के बाद उनको या तो जंगल में ले जाकर छोड़ देते हैं या फिर पास में ही गंग नहर या गंगा में बहा देते हैं। इसके बाद भी सांपों का आतंक कम नहीं हो रहा। ग्रामीणों की माने तो सांप निकलने की घटनाएं आए दिन हो रही है।
दो मासूम बच्चियों की मौत के बाद सतर्कता बरत रहे ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद क्षेत्र में पिछले साल से सांपों के काटने और निकलने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। उससे पहले सांप निकलते तो थे लेकिन किसी को डसते नहीं थे। घर में भी अगर सांप निकलता था तो वह चुपचाप अपने किसी बिल में घुस जाता था या फिर बाहर चला जाता था।
दिन में महिलाएं, तो रात में पुरूष करते हैं रखवाली
तोफापुर निवासी सनी मलिक बताते हैं कि गांव में सांपों के आतंक से दिन में महिलाएं सतर्क रहती हैं और रात में पुरूष जागकर बच्चों और अन्य परिजनों की रखवाली करते हैं। क्योंकि रात में कब कहां से सांप निकल आए इसका पता नहीं रहता। इसलिए रात में सब लोग अपने बिस्तर पर ही रहते हैं। बिस्तर से नीचे नहीं उतरते। इसके अलावा खुले में सोने की कोशिश करते हैं। जिससे कि कमरे में सांप किसी सहारे से छत पर चढ़कर सोते हुए घर के लोगों के ऊपर गिरकर उनको अपना निशाना न बनाए।
भूरा और गहरा बैगनी रंग के सांपों का दहशत
जिन बच्चियों की मौत हुई उनके पिता आरिफ का कहना है कि गांव में दो तरह के सांप इन दिनों देखे जा रहे हैं। इनमें एक भूरा और दूसरा गहरा बैगनी रंग का है। आरिफ का कहना है कि क्षेत्र में इस तरह के सांप पहले भी देखे जाते रहे हैं लेकिन यह पहली बार हो रहा है कि इनके काटने से लोगों की मौत हो रही है।
विशेषज्ञों की राय
जंतु विज्ञानी डॉ. वाईयूवी सिंह के अनुसार, बरसात के दिनों में बिलों और जमीन के भीतर पानी भर जाता है। जिसके कारण जमीन के भीतर रहने वाले जीव-जंतु बाहर आ जाते हैं। इन जंतुओं में सांप भी होते हैं। हालांकि ये हर साल होता है। लेकिन अगर किसी क्षेत्र में आमतौर पर ऐसा बार-बार हो रहा है तो इसका मतलब है कि उस क्षेत्र में सांपों की बहुलता बढ़ गई है। इसके लिए वन विभाग से शिकायत करनी चाहिए। जिससे वन विभाग सांपों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाए।
BY: KP Tripathi
Published on:
04 Sept 2021 02:47 pm
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