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Nirbhaya के गुनहगारों को फांसी देने के बाद पवन जल्लाद लौटे घर, बताईं उस वक्त की बातें

Highlights निर्भया के गुनहगारों को फांसी देकर मेरठ लौटे पवन लौटने के बाद जिला कारागार में उपस्थिति दर्ज कराई घर लौटने पर उनसे मिलने के लिए जमा थे काफी लोग

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मेरठ। निर्भया के गुनहगारों को फांसी देकर मेरठ लौटे पवन जल्लाद ने सबसे पहले यहां जिला कारागार में उपस्थिति दर्ज कराई। पवन जल्लाद का कहना है कि हर बुरे काम का अंत बुरा ही होता है। यह उसने अपनी आंखों से देखा है। निर्भया के गुनहगारों को फांसी के बाद से बुरा काम करने वाले के मन में खौफ जरूर पैदा होगा। पवन ने कहा कि फांसी के तख्ते पर चढऩे के बाद चारों दरिंदे गिड़गिड़ा रहे थे। गुनहगारों को फांसी ही निर्भया को सच्ची श्रद्धाजंलि है।

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शुक्रवार की देर रात सुरक्षा में तिहाड़ जेल से लौटे पवन जल्लाद ने कहा कि 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने वाली रात वह ठीक से सो नहीं पाए थे। वह सुबह तीन बजे ही उठ गए थे, उसके बाद उन्होंने फांसी की तैयारी की। पवन ने बताया कि फांसी देने से पहले तक उन्होंने कुछ भी खाने से मना कर दिया था। चार बजे फांसी घर पहुंच गए थे। साढ़े पांच बजे पहले दो गुनहगारों को अलग-अलग तख्तों पर खड़ा किया गया। उनके हाथ बंधे थे। मुझे इशारा किया गया। मैं फांसी देने चला तो एक गिड़गिड़ाने लगा, लेकिन मैंने अपना कर्म निभाया। दोनों को फांसी के फंदे पर लटका दिया। चिकित्सकों द्वारा चेक करने के बाद उन्हें फंदे से उतारा गया। उसके बाद दो अन्य गुनहगारों को भी फांसी पर लटकाया।

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पवन जल्लाद जब तिहाड़ जेल के बाद मेरठ जिला कारागार पर उपस्थिति दर्ज कराने के बाद कांशीराम आवासीय कालोनी स्थित अपने घर पहुंचे तो उनसे मिलने वालों का तांता लग गया। हर कोई उनसे जानने को उत्सुक था कि उन्होंने गुनहगारों को किस तरह फांसी दी। पवन का कहना है कि वह 17 मार्च को उन्हें मेरठ से दिल्ली तिहाड़ जेल ले जाया गया था। वहां जेल अफसरों ने उन्हें फांसी घर दिखाया। रहने के लिए अलग कमरा दिया गया। उनसे किसी सामान की जरूरत पर मांग लेने की बात कही। अगले फांसी से पहले दो दिन तक वहां खामोशी छाई हुई थी। 19 मार्च की शाम से तिहाड़ जेल के सभी अफसर और कर्मचारी चुपचाप नजर आ रहे थे। चार फांसी देने की एवज में पवन को तिहाड़ जेल से 60 हजार रुपये का चेक मिला है। साथ ही उन्होंने एक साथ चार गुनहगारों को फांसी देने का कीर्तिमान भी बनाया।