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कोविड को दे दी मात, लेकिन अब इस बीमारी को लेकर रहें अलर्ट

locationमेरठPublished: Sep 22, 2021 02:50:25 pm

Submitted by:

Nitish Pandey

गेस्ट्रो सर्जन और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रशांत सोलंकी ने बताया कि एक शोध में यह सामने चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

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मेरठ. कोरोना से संक्रमित हुए लोगों ने भले ही इस गंभीर बीमारी को मात दे दी हो, लेकिन इस बीमारी के बाद हो रही अन्य शारीरिक परेशानी से उनको निजात नहीं मिल रही है। अब पेट संबंधी कई गंभीर बीमारियों से लोग पीड़ित हो रहे हैं। इनमें वो लोग अधिक हैं जिनको रेमडेसीविर इंजेक्शन दिए गए या फिर जो बीमारी के चलते शरीर में आक्सीजन की कमी के चलते अस्पताल में भर्ती हुए।
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पेट की बीमारियों से लोग परेशान

कोरोना से ठीक हुए अधिकांश लोगों में अब पेट दर्द, ऐंठन, मरोड़ व गैस की समस्या परेशान कर रही है। चिकित्सकों ने इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करने की सलाह दी है। चिकित्सकों का कहना है कि यह पोस्ट कोविड के गंभीर लक्षण है। जो समय रहते सही दिशा में इलाज न कराए जाने पर एक बड़ी बीमारी का रूप ले सकता है। डॉक्टरों ने इसे फंग्शनल गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल डिसऑर्डर (एफजीआईडी) करार दिया है।
अस्पतालों में अलर्ट

गेस्ट्रो सर्जन और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रशांत सोलंकी ने बताया कि एक शोध में यह सामने चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कोरोना संक्रमित रहे लोगों पर किए गए इस शोध में (रिसर्च को अमेरिकन जर्नल में भी प्रकाशित किया गया है) कुछ ऐसे ही चौकाने वाली जानकारी सामने आई है। उन्होंने बताया कि इसको लेकर प्रदेश भर के अस्पतालों को अलर्ट भी जारी किया है।
पोस्ट कोविड लक्षणों की बारीकी से हुई निगरानी

उन्होंने बताया कि शोध के तहत संक्रमण से मुक्त होने के बाद पोस्ट कोविड लक्षणों की बारीकी से निगरानी की गईं। इन सभी कोरोना संक्रमितों के पहले, तीसरे व छठे महीने के बाद के गहनता से नजर रखने पर पाया गया कि 280 में से 26 मरीज कोरोना से उबरने के 6 महीने बाद भी क्रॉनिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानियों से जूझ रहे थे। इन्हें बदहजमी, क्रोनिक पेट दर्द, कबजियत, पेट फूल जाना, ब्लैक स्टूल, मरोड़ के साथ पेचिश व आंव आना, भूख कम लगना, बार-बार मोशन से परेशान हैं। इसके चलते इन्हें बार-बार डॉक्टर के पास जाना पड़ रहा है। बाद में की गई जांचों में भी इनके क्रोनिक गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल डिसऑर्डर से पीड़ित होने की बात सामने आई।
सही समय पर उपचार जरुरी

डॉ. सोलंकी के मुताबिक कोरोना के असिम्प्टोमैटिक मरीजों में क्रोनिक एफजीआइडी होने की संभावना कम तो वहीं कोरोना के गंभीर लक्षण वाले मरीजों में यह समस्या होने की ज्यादा संभावना है। उन्होंने बताया कि सही समय पर जानकारी और उपचार से ही पेट से संबंधित इस बड़ी बीमारी का शिकार होने से बचा जा सकता है।
समय से कराएं इलाज

डॉ. प्रशांत बताते हैं कि उनके पास प्रतिदिन दो से तीन ऐसे मरीज आ जाते हैं जिनमें ‘पोस्ट कोविड मरीजों में फंग्शनल गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल डिसऑर्डर (एफजीआईडी) की समस्या देखने को मिलती है। कोरोना संक्रमण के दौरान पेट की समस्या से ग्रसित रह चुके मरीज अगर अभी भी पेट में दर्द, ऐंठन, मरोड़ व गैस की समस्या आदि से परेशान हैं तो वे इसे नजरअंदाज न करें। उन्होंने बताया कि अगर समय से इस बीमारी का इलाज कर दिया जाए तो आगे कोई परेशानी को सामना नहीं करना पड़ेगा।
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