
आपके घर में भी इस पक्षी ने बनाया है अपना बसेरा तो घिर सकते हैं इन घातक बीमारियों से!
मेरठ। इस भोले पक्षी से भला कौन नहीं परिचित होगा। आजकल हर गली-मोहल्ले या कहें घर की छत पर बने कमरे में या किसी भी कोने में ये अपना आशियाना बना ही लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पक्षी का घर में बसेरा होने से आप कर्इ कठिनाइयों में फंस सकते हैं। इस पक्षी से आपकाे भयानक बीमारी मिल सकती है। वह भी ऐसी कि अगर समय रहने इलाज न कराया तो ताउम्र उस बीमारी के साथ बितानी पड़ सकती है।
कबूतर की बीट से होती है बीमारी
दुनिया भर में शांति का प्रतीक माने जाने वाले कबूतरों के बारे में कहा जाता है कि वह बाकी पक्षियों के मुकाबले ज्यादा बीट करते हैं। आपने देखा होगा कि कबूतरों का जहां भी अपना ठिकाना बनाते हैं वहां पर एक अजीब सी दुर्गंध होती है। यह बीट सूखने के बाद पाउडर बनकर हवा में फैल जाता है।
बीट में रहने के आदी होते हैं कबूतर
कबूतरों को अपने उन्हीं बीट में रहने की आदत होती है। जब कबूतर वापस से अपने सूखे हुए बीट पर बैठते हैं और बार-बार अपने पंख हिलाते हैं तो वह पाउडर आसपास की हवा में बुरी तरह फैल जाता है। जब कोई व्यक्ति उस हवा को सांस के जरिए अपने अंदर लेता है तो उनके बीट में पाए जाने वाले फंगस, बैक्टीरिया, वायरस भी उसके अंदर चले जाते हैं।
शरीर में पहुंचकर करते हैं घातक वार
डा. संजीव खरे के अनुसार बैक्टीरिया और वायरस पहले हमारे फेफड़ों में पहुंचता है, फिर धीरे-धीरे हमारे शरीर के बाकी हिस्सों में उसका प्रवाह होता है। महिलाओं में इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक होता है। वह फंगस, बैक्टीरिया और वायरस पहले हमारे फेफड़ों में पहुंचता है, फिर धीरे-धीरे हमारे शरीर के बाकी हिस्सों में उसका प्रवाह होता है।
बीट में फंगस का आंखों पर होता है असर
डा. संजीव खरे बताते हैं कि कबूतरों की बीट में पाए जाने वाले फंगस का हमारे आंखों पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है, बल्कि ऐसा भी कहा जाता है कि यह फंगस सबसे पहले हमारे आंखों को ही प्रभावित करते हैं। कई बार तो आंखों की रोशनी भी चली जाती है।
मनुष्य की सेहत के लिए खतरनाक कबूतर
वह बताते है कि कबूतर वैसे तो शांतप्रिय पक्षी है, लेकिन वह मनुष्य की सेहत के लिए खतरनाक होता है। कबूतर अपने में बड़ी संख्या में बीमारी के स्रोत समेटे रहते हैं, जो इंसान के लिए काफी खतरनाक होते हैं। यह एक तरह की संक्रामक बीमारी है जो जानवरों और पक्षियों से इंसानों तक पहुंचता है।
इन्फेक्शन का मूल आधार बीट
इस इंफेक्शन के प्रवाह का मूल आधार उनकी की हुर्इ बीट होती है। कबूतरों की बीट कई तरह के वायरस, बैक्टीरिया और फंगस को लेकर चलते हैं। यह बैक्टीरिया और फंगस चमगादड़ और मुर्गियों में भी पाए जाते हैं, लेकिन चमगादड़ इंसानों के बीच नहीं रहते और मुर्गियों को भी एक निश्चित जगह पर रखा जाता है। इस वजह से उनसे इंफेक्शन का खतरा बहुत कम होता है।
Published on:
18 Aug 2018 07:47 pm
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