
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ। रैपिड रेल का काम अब महानगर के बीचों बीच रफ्तार पकड़ रहा है। दिल्ली से मेरठ के शहर के बीच तक रैपिड के कामों में आ रही तेजी इस बात का प्रतीक है कि अब वह दिन दूर नहीं जब केंद्र और प्रदेश सरकार जल्द ही इसको वास्तविकता के धरातल पर उतार देगी। दिल्ली से मेरठ तक हवा से बात करने वाली इस रैपिड की खूबियां भी बहुत हैं। जिसके चलते ये विश्व की सबसे आधुनिक और हाईटैक्नालाजी से भरपूर है। एक तरफ जहां ये पर्यावरण को बचाने का काम करेगी वहीं यहीं रैपिड बिजली बनाने का भी काम करेगी। कुल मिलाकर दिल्ली से मेरठ के बीच चलने वाली रैपिड रेल कई अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगी।
रैपिड में रिजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के उपयोग किया गया है। जिससे बिजली बनेगी। रैपिड रेल में जितनी बार ब्रेक लगाए जाएग उसके घर्षण से बिजली बनेगी। इससे रेल द्वारा प्रयोग की जाने वाली लगभग 30 प्रतिशत बिजली की खपत कम हो जाएगी। इस सिस्टम से सालाना बिजली की काफी बचत होगी। ये बिजली रेल के ओवरहेड ट्रैक्शन के माध्यम से बिजली के ग्रिड में चली जाएगी।
वर्ष-2023 में साहिबाबाद से दुहाई तक पहले चरण में रैपिड रेल का संचालन शुरू किया जाना प्रस्तावित है। इससे पहले भी कई ऐसी तकनीक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम बता चुका है, जिससे पर्यावरण को स्वच्छ बनाया जा सके। एनसीआरटीसी के अनुसार रैपिड रेल के चलने से सड़क पर लगभग एक लाख गाड़ियां कम हो जाएंगी।
रिजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के लगने के बाद ट्रेन के पहिए, ब्रेक पैड और ट्रेन के पुर्जें आदि अन्य कम खराब होते हैं। इनका मेंटेनेंस भी कम हो जाता है।
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एक कोच में होगी 400 सीटें
बता दें कि रैपिड रेल में 6 कोच होंगे और हर कोच में 400 सीटें होगीं। लगभग 1700 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था की जाएगी। पहले चरण में 17 किलोमीटर के ट्रैक पर रैपिड रेल का संचालन प्रस्तावित है। वहीं दूसरे चरण में ट्रेन दिल्ली से मेरठ तक दौड़ेगी। अधिकारियों का दावा है कि रैपिड रेल के संचालन से सड़क पर तकरीबन एक लाख गाड़ियां कम हो जाएगी और इससे प्रदूषण की समस्या से भी निजात मिलेगा।
Published on:
09 Mar 2021 10:40 am
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