15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Key To Success: दीपक की लौ में पढ़कर ये पीसीएस अफसर अपने गांव के लिए बना प्रेरणादायी

Highlights कक्षा 8 से ही इस होनहार को मिलने लगा था वजीफा खुद को अलग रखने के लिए अनवरत करते रहे संघर्ष कहा- नई पीढ़ी को कभी भी हौसला नहीं खोना चाहिए  

2 min read
Google source verification
meerut

मेरठ। पिता खेती करते थे। पढाई के पैसे का इंतजाम बड़ी मुश्किल से हो पाता था। इसलिए ऐसे माहौल में खुद को अलग रखना मुश्किल था,लेकिन संघर्ष से कभी भागा नहीं। मन में कुछ करने की लगन थी। गांव में लाइट नहीं होने पर घर में जलते दीपक की लौ के प्रकाश में रात भर पढाई किया करता था। उसी दीपक के प्रकाश ने आज इस मुकाम पर पहुंचा दिया। यह कहना है एमडीए में तहसीलदार के पद पर तैनात विपिन कुमार मोरल का, जो कि नानपुर गांव के रहने वाले हैं।

यह भी पढ़ेंः VIDEO: सपा नेता ने संगीत सोम पर लगाए आरोप, कहा- सत्ता का दुरुपयोग कर रहे विधायक

वर्ष 2013 बैच के विपिन कुमार आज जो भी हैं उसका श्रेय अपने माता पिता को तो देते ही है। इसके साथ ही वे आज की पीढी को एक और संदेश देना चाहते हैं। वह है हौसला न खोने का। उन्होंने बताया कि अक्सर लोग बेहतर शिक्षा पाने के लिए निजी स्कूलों का रुख करते हैं। अगर आपके भीतर लगन है और कुछ पाने का जोश है तो आप थोड़ा अलग करने की सोचें तो सरकारी स्कूल में पढ़कर भी अपना मुकाम हासिल कर सकते हैं। वह कक्षा एक से 12वीं तक सरकारी स्कूल में ही पढ़े। घर पर पैसे की कमी के चलते और गांव में पढ़ाई को लेकर कोई माहौल ही नहीं होने के बाद भी वे पढते रहे।

यह भी पढ़ेंः डीजीपी के आदेश पर इस जनपद में चला बड़ा अभियान, चेकिंग में मिला हैरत कर देने वाला सामान

बचपन से ही विपिन बड़े पदों के सपने देख रहे थे। रास्ते में बहुत सी मुश्किलें भी आई, लेकिन उन्होंने परवाह नहीं की। कक्षा 8 से ही उन्हें सरकारी वजीफा मिलना शुरू हुआ तो आगे पीएचडी तक मिलता चला गया। साधारण से छात्र से कब विपिन खास हो गए इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है। उनका कहना है कि वह लक्ष्य लेकर और दूसरों से कुछ अलग करने के लिए पढ़ाई करते थे।

यह भी पढ़ेंः सपा नेता मिले AAP MLA के गांव में विजयी जुलूस के घायलों से, कहा- भाजपा के इशारे पर काम कर रही पुलिस

12वीं पास करने के बाद स्नातक करने मेरठ आए। रुपये नहीं होने पर वह परेशान हो गए। एक बार तो वह बहुत हताश हो गए थे। तरह-तरह की बातें सुनने को मिलती, लेकिन इस हताशा के बीच वे जमे रहे। विपिन कहते हैं कि कई बार मेहनत करने के बाद भी संतोषजनक परिणाम नहीं मिल पाते हैं। हमें उससे हार नहीं माननी चाहिए। इसी का परिणाम हुआ कि वर्ष 2013 की पीसीएस परीक्षा उन्होंने अच्छे नंबरों से पास की। विपिन अब अपने ही गांव नहीं बल्कि आसपास के गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा का काम कर रहे हैं।