आपातकाल के दौर में मेरठ क्रांतिधारा से भी सैकड़ों लोगों ने कांग्रेस सरकार और उनकी नीतियों के खिलाफ गिरफ्तारी दी थी। उन्होंने कहा कि आज से 47 साल पहले देश में आपातकाल लगाया गया था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद दौर माना जाता है। इसे भारतीय राजनीति के इतिहास का काला अध्याय कहा जाता है। वहीं भाजपा सांसद विजय पाल तोमर ने कहा कि 25 जून 1975 की वह आधी रात, जब आपातकाल की घोषणा की गई तब सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। अभिव्यक्ति के अधिकार छीन लिए गए और जीवन का अधिकार भी नहीं रह गया था। आपातकाल 21 मार्च 1977 तक लगी रही। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इस आपातकाल ने देश की राजनीति की दशा ही पूरी तरह बदल कर रख दी थी। आपातकाल के आंदोलन ने देश को बड़े-बड़े नेता दिए।
यह भी पढ़े : Agneepath scheme : मेघालय के राज्यपाल बोले,’सेना में चार साल नौकरी के बाद घर लौटे युवक का नहीं होगा ब्याह’ अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आड़वाणी के अलावा कई नेता ऐसे रहे जिन्होंने उस दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब हम इतिहास से सबक लेते हुए नए भारत के भविष्य की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रख चुके हैं। हमारा देश भारत विश्व पटल पर अग्रिम पंक्ति में खड़ा हैं। मंच पर मौजूद रहे पूर्व विधायक संगीत सोम , जगत सिंह ,संजीव गोयल सिक्का, अरुण वशिष्ठ, चौ. मनिंदर पाल, रविंद्र राणा, विमल शर्मा जिलाध्यक्ष, धर्मेंद्र भारद्वाज एमएलसी आदि ने भी अपने विचार रखे।