
जिला अस्पताल की ओपीडी में लगी मरीजों की भीड़।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार मेरठ में डेंगू मरीजों की संख्या 250 के पार हो चुकी है। जबकि डेंगू के मरीजों का अघोषित आंकड़ा इससे कहीं अधिक बताया जा रहा है। डा. विश्वजीत बैम्बी के मुताबिक इस समय डेंगू का सीरो टाइप-2 वायरस बेहद घातक है।
ये टाइप-1 और टाइप-3 से अधिक खतरनाक है। इसके संक्रमण से डेंगू के सामान्य मरीज अस्पताल की ओपीडी में इलाज के दौरान बेहोश हो रहे हैं। डा. विश्वजीत ने बताया कि मरीजों की प्लेटलेटस कम होने के साथ ही ये उनके लिवर, किडनी और दिमाग में सूजन के साथ बीपी भी गिरा रहा है।
उन्होंने बताया कि ये सीरो टाइप-2 डेंगू है। जिसमें मल्टीआर्गन फेल्योर का खतरा है। उन्होंने बताया कि इस डेंगू ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक फैल रहा है। कुछ दिनों तक कोरोना की दहशत से लोग दहशत में थे अब ऊपर से डेंगू ने मेरठवासियों को पूरी तरह से परेशान कर दिया है।
नवंबर के महीने में डेंगू ने पकड़ा जोर
मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डा. अशोक तालियान ने बताया कि डेंगू संक्रमण अक्टूबर-नवंबर में अधिक जोर पकड़ रहा है। हालांकि जिले में पिछले साल की अपेक्षा अभी डेंगू के मरीजों की संख्या कम है।
सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए अब तक दो सौ यूनिट प्लेटलेट की खपत हो चुकी है। जिन अस्पतालों में कोरोना के वार्ड तीसरी लहर से निपटने के लिए बनाए गए थे। वे वार्ड अब डेंगू वार्ड में तब्दील हो चुके हैं। इन वार्डों में मरीजों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है।
बीपी गिरना और शाक सिंड्रोम के लक्षण
सर्विलांस अधिकारी डा. अशोक तालियान के अनुसार डेंगू मरीजों में तेज बुखार होता है। तेज पेट दर्द के बाद अगर बीपी गिरने लगे तो यह शाक सिंड्रोम का लक्षण हैं। भूख न लगने से मरीज खाना छोड़ देते हैं। मुंह का स्वाद खराब रहने से पानी कम पीते हैं। उल्टी होने से शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है।
शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैंलेंस गड़बड़ाने से मरीज की मांसपेशियों में कमजोरी आती है। कई मरीज ओपीडी में बेहोश हो जा रहे हैं। उन्होंने लोगों को डेंगू से बचाव के लिए आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखने और खान पान पर जोर देने को कहा है।
Published on:
18 Nov 2022 06:28 pm
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