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पुलिस से झड़प के बाद किसानों से मिलने पहुंचे इस दिग्गज नेता की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में कराए गए भर्ती

दिल्ली कूच की मांग कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोडे़ जाने के बाद दिल्ली-यूपी बार्डर पर हालत बेकाबू हो गए।

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मेरठ

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Rahul Chauhan

Oct 02, 2018

मेरठ। दिल्ली कूच की मांग कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोडे़ जाने के बाद दिल्ली-यूपी बार्डर पर हालत बेकाबू हो गए। इसको लेकर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक राजनीति भी सक्रिय हो गई है। रालोद सूत्रों के मुताबिक चौधरी अजित सिंह ने मेरठ और पश्चिम उत्तर प्रदेश के रालोद कार्यकर्ताओं से गाजीपुर बार्डर पर पहुंचने का आहवान किया है। वहीं अजित सिंह भी किसानों के बीच पहुंचे जहां उनकी तबीयत खराब हो गई। जानकारी के मुताबिक गर्मी के चलते उनकी तबीयत खराब हुई है। जिसके बाद उन्हें मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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रालोद के राष्ट्रीय महासचिव डा. मैराजुद्दीन भी किसानों के समर्थन में दिल्ली के गाजीपुर बार्डर पर पहुंचने के लिए रवाना हो चुके हैं। डा. मैराजुद्दीन ने पत्रिका से हुई बातचीत में बताया कि सरकार का तानाशाह वाला रवैया बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार डंडे के दम पर किसानों के आंदोलन को कुचलने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि धरतीपुत्रों को अपमान रालोद का अपमान है। उन्होंने बताया कि अजित सिंह ने आदेश दिया है कि हम लोग जल्द से जल्द गाजीपुर बार्डर पर पहुंचे।

गौरतलब है कि यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर बीते सोमवार से ही पुलिस ने बैरिकैडिंग कर रखी है ताकि किसान दिल्ली में न घुस सकें। वहीं मंगलवार को सुबह करीब 12 बजे किसान जब जबरन दिल्ली में घुसने लगे तो किसान और पुलिस के बीच तीखी झड़प हो गई। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पानी की बौछारें की और आंसू गैस के गोले छोड़े। एक तरफ जहां पर गाजीपुर बॉर्डर पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष चल रहा है। वहीं दूसरी तरफ गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, कृषि राज्यमंत्री किसानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर रहे हैं।

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23 सितंबर से चल रही पदयात्रा

बता दें कि कर्जमाफी और बिजली बिल के दाम करने जैसी मांगों को लेकर किसान क्रांति पदयात्रा 23 सितंबर को हरिद्वार से आरंभ हुई थी। किसान अपनी कई मांगों को लेकर पिछले छह महीने में चौथी बार दिल्ली कूच कर रहे हैं। किसानों की मांगों में यह भी शामिल है कि किसानों के लिए न्यूनतम आय तय की जाए। 60 साल की आयु के बाद किसान को 5,000 रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव किया जाए. योजना का लाभ कंपनियों के बदले किसानों को दी जाए।