
बागपत। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी राष्ट्रीय लोकदल सोमवार को अपने एकमात्र विधायक के भाजपा में शामिल होने से जनप्रतिनिधि विहीन पार्टी हो गई। इस पार्टी के सिंबल पर 2017 के विधानसभा चुनाव में जीतने वाले अकेले विधायक सहेंद्र सिंह रमाला सोमवार को समर्थकों सहित भाजपा में शामिल हो गए।
हालांकि राज्यसभा चुनाव में रालोद मुखिया चौधरी अजीत सिंह के निर्देशानुसार सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी को वोट न देकर भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने के बाद पार्टी ने पहले ही अपने एकमात्र विधायक सहेंद्र सिंह रमाला को पार्टी से बाहर कर दिया था। सहेंद्र सिंह रमाला बागपत जिले की छपरौली से विधानसभा से विधायक हैं।
उन्होंने अपने एक दर्जन समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। इनको लखनऊ में भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डे ने भाजपा की सदस्यता दिलाई। इसी के साथ 17वीं विधानसभा में राष्ट्रीय लोकदल का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया।
पार्टी से निकाले जाने के बाद सहेंद्र रमाला ने रालोद मुखिया चौधरी अजीत सिहं पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि चौधरी अजीत सिंह कैराना सीट से अपने बेटे जयंत चौधरी को महागठबंधन (सपा+बसपा+रालोद) का प्रत्य़ाशी बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने मुझसे बसपा प्रत्य़ाशी को वोट देने के लिए कहा था। साथ ही सहेंद्र ने कहा था कि जयंत चौधरी और अजीत सिंह दोनों ही अवसरवादी हैं।
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क्यों दिया था भाजपा प्रत्य़ाशी को वोट
राज्यसभा चुनाव में भाजपा की रणनीति ने सभी विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया था। रालोद विधायक सहेंद्र रमाला को अपने पक्ष में क्रॉस वोटिंग कराने के लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने रिश्तेदारी का सहारा लिया। दरअसल सहेंद्र रमाला हरियाणा में भाजपा सरकार के वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु के बड़े भाई के समधी हैं। उनके बेटे के लिए कैप्टन अभिमन्यु की भतीजी की शादी पिछले साल ही हुई है। भाजपा ने इसी रिश्तेदारी को देखते हुए कैप्टन अभिमन्यु सहेंद्र रमाला का वोट भाजपा प्रत्याशी को दिलाने की जिम्मेदारी सौंप दी और इसमें वह सफल भी रही।
Published on:
30 Apr 2018 08:37 pm
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