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World Wildlife Week: विलुप्त होने की कगार पर घरों की छोटी चिड़िया, गौरैया को बचाने के लिए वन विभाग ने की अनोखी पहल

World Wildlife Week: डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि गौरैया के संरक्षण के लिए सबसे पहले उसके रहवास को चिह्नित करना होगा।

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मेरठ

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Nitish Pandey

Oct 05, 2021

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World Wildlife Week: पेड़ों की कटाई और वातारण का अनुकूल न रहना पक्षियों के लिए बड़ी चुनौती बना जा रहा है। इसी वजह से पक्षियों की कई प्रजातियां विल्पुत हो चुकी हैं। इन्ही में से एक प्रजाति गौरेया की भी है, जो विल्पुत होने की कगार पर है। जिसके चलते मेरठ वन विभाग ने गौरैया को बचाने के लिए एक अच्छी पहल की है। लोगों से गोरैया के ठिकानों-घोंसलों की फोटो खींचकर जीपीएस लोकेशन के साथ व्हॉट्सएप पर भेजने की अपील की गई है। इसके जरिये गौरैया के रहवास का पता चलने पर वन विभाग इन स्थानों को चिह्नित करेगा।

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गौरेया के बारे में ये है कुछ खास

बता दें कि गौरैया एक छोटी प्रजाति की चिड़िया है। यह एशिया, अमेरिका, यूरोप आदि देशों में पाई जाती है। शहरी इलाकों में गौरैया की छह प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसैट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो शामिल हैं। लोगों के साथ इसका जुड़ाव काफी गहरा है। कुछ समय पहले गौरैया की चहचहाहट लोगों के मन को खूब प्रभावित करती थी, लेकिन अब वो बात नहीं, इन दिनों दूर-दूर तक गौरेया नजर तक नहीं आती है।

वन विभाग की अच्छी पहल

गर्मियों के दिनों में आप गौरेया कहीं जाने वाली नन्हीं चिड़िया को कच्चे घरों में ज्यादा बैठते हुए देख सकते थे। वहीं अब उनका ठिकाना खत्म होता जा रहा है। पेड़ों की कटाई की जा रही है। इसी बीच गौरैया को बचाने के लिए मेरठ वन विभाग ने अच्छी पहल की है। लोगों से गोरैया के ठिकानों-घोंसलों की फोटो खींचकर जीपीएस लोकेशन के साथ व्हॉट्सएप पर भेजने की अपील की गई है। जिससे पता चल सकेगा कि वहां कैसा वातावरण में गौरेया को भा रहा है। इसके लेकर शहर की बड़ी आरडब्लूए के पदाधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी। मेरठ में अभी तक सिर्फ चार लोगों ने ही गौरैया के ठिकाने की फोटो भेजी है।

इस पते पर भेजे गौरैया की फोटो और पता

गौरैया को विल्पुत होने के बचाने के लिए डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि गौरैया के संरक्षण के लिए सबसे पहले उसके रहवास को चिह्नित करना होगा। ऐसे में लोगों से कहा गया है कि अगर कहीं गौरैया का घोंसला है या फिर वो अकसर आती है तो उसका फोटो खींचकर वन विभाग की ईमेल आईडी forestmeerut@gmail.com और डीएफओ के सीयूजी नंबर 7839435168 पर व्हॉट्सएप किया जा सकता है। इसमें वहां का पूरा पता लिखें, अगर जीपीएस लोकेशन भेज दी जाए तो और बेहतर होगा।

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