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World Health Day : 60 प्रतिशत लोग जी रहे तनाव में, विशेषज्ञों ने बताए खुशहाल जीवन जीने के मंत्र

World health day पर Chaudhary Charan Singh University में आयोजित विचार गोष्ठी में विशेषज्ञों ने दिए खुशहाल जीवन जीने के टिप्स

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मेरठ

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lokesh verma

Apr 07, 2021

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ. 83 प्रतिशत रोग व्यस्त जीवनशैली के कारण होते हैं। 60 प्रतिशत लोग व्यस्त जीवनशैली ( Lifestyle ) के कारण तनावपूर्ण जीवन ( Stressful Life ) व्यतीत कर रहे हैं। अपने स्वास्थ्य की रक्षा हमको स्वयं की करनी होगी। जिस अर्थ को पाने के लिए हम अपनी काया की चिंता नहीं कर रहे हैं, वह काया लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी नहीं पा पाएंगे। यदि हमने अपनी जीवनशैली को व्यवस्थित कर लिया तो सारे रोग भाग जाएंगे। ये बातें आरोग्य भारती और विवेकानंद अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ( Chaudhary Charan Singh University ) स्थित बृहस्पति भवन में स्वस्थ्य जीवनशैली, आचार एवं विचार वर्तमान परिस्थिति के विशेष संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य दिवस ( World Health Day) पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव डाॅ. अशोक ने कही।

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डाॅ. अशोक ने बताया कि यदि जीवन को स्वस्थ्य रखना है तो व्यायाम बहुत जरूरी है। छोटे-छोटे कामों को अपनी जीवनशैजी में शामिल करना पड़ेगा। तीन चीजों शारीरिक व मानसिक व्यायाम, आहार विहार और सकारात्मक सोच को जीवन में जरूर शामिल करें। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डाॅ. संजय जैन ने कहा कि माॅडर्न मेडिसन के कारण हर साल 5 करोड लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। माॅडर्न मेडिसन का उद्देश्य पेटेंट एवं लाभ है। इसका मानव कल्याण से कोई वास्ता नहीं है। यही कारण है कि आयुर्वेद हाशिए पर चला गया है। आयुर्वेद शताब्दियों से हमारी चिकित्सा पद्धति रही है, लेकिन कोरोना ने कारण मजबूरी में ही सही भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद को दुनिया को अपनाना पड़ा है।

हमारी रसोई में ही सभी प्रकार की दवाएं

मुख्य अतिथि डाॅ. दर्शन लाल अरोड़ा ने कहा कि यदि हमारा शरीर ठीक है तो हम सब काम कर सकते हैं और यदि शरीर ठीक नहीं है तो आपके अंदर कितनी भी योग्यता हो सब बेकार है। उन्होंने कहा कि हेल्थ ही डोज आधा घंटा रोज, व्यायाम के माध्यम से हम सभी अंगों को स्वस्थ कर सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर ही दवा का उपयोग करें। हमारी रसोई में ही सभी प्रकार की दवाएं हैं, लेकिन हम रसोई में से सभी दवाएं को खत्म करते जा रहे हैं। फाॅस्ट फूड और बाहर के खाने को ज्यादा अपना रहे हैं। जीवन में हर दृष्टि से ईमानदारी का उपयोग करें, अपनी योग्यता को समाज के लिए इस्तेमाल करें।

भारतीय संस्कृति ने दुनिया को बताया कोरोना से बचने का तरीका

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलानुशासन प्रोफेसर बीरपला सिंह ने कहा कि आयुर्वेद देश की संस्कृति में शामिल है और भारतीय संस्कृति ने दुनिया को बताया कि किस प्रकार से कोरोना से बचा जा सकता है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. निधि भाटिया ने किया, डाॅ. धमेंद्र कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। मनोज पाठक, विजय लक्ष्मी का विशेष सहयोग रहा। इस दौरान सुशील कुमार, कृष्ण कुमार, प्रो. आरके सोनी, प्रो. नीलू जैन, प्रो. बिन्दु शर्मा, प्रो. राजीव सिजेरिया, डाॅ. अनुज कुमार, डाॅ. विवेक कुमार, डाॅ. नरेंद्र पांडे, डाॅ. अश्वनी कुमार, डाॅ. कपिल स्वामी, प्रेस प्रवक्ता मितेंद्र कुमार गुप्ता, इंजीनियर मनीष मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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