24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Shani Jayanti: शनि जयंती आज, ऐसे करेंगे पूजा तो बरेसी शनिदेव की कृपा

आज के दिन की गई प्रार्थना का मिलेगा विशेष फल। दोपहर 3:16 बजे तक रहेगी shani jayanti। तेल की अखंड ज्योत जलाना होगा शुभकारी।

2 min read
Google source verification

मेरठ

image

Rahul Chauhan

Jun 10, 2021

shani_jayanti.jpg

मेरठ। गुरूवार को शनि जयंती (shani jayanti 2021) मनाई जा रही है। इस बार गुरूवार के कारण शनि जयंती (shani jayanti puja vidhi) का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। गुरूवार को ही सूर्य ग्रहण और वट सावित्री व्रत भी है। इसी दिन शनि जयंती (shani jayanti date and time) होने के कारण सूर्य देव के सुपुत्र शनिदेव की अराधना का विशेष महत्व हो जाता है। शनिदेव की पूजा वैसे तो प्रत्येक शनिवार की जाती है, परंतु शनि जयंती पर की गई शनि की पूजा विशेष फलदाई मानी जाती है। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। ज्योतिषाचार्य अनिल कुमार के अनुसार कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 9 जून बुधवार को दिन में 1:19 पर लगी और 10 जून गुरुवार को दोपहर 3:16 तक रहेगी। जयंती का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन पूजन से पितृ दोष का निवारण भी होता है।

यह भी पढ़ें: अयोध्या के मंदिरों में बिन भक्त मनाई गई हनुमान जयंती, बजरंगबली से कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना

ज्योतिष अनिल शास्त्री ने बताया कि शनि जयंती के पावन पर्व पर व्रत उपवास रखकर शनिदेव की पूजा अर्चना करने से कठिनाइयों का निवारण होता है। साथ ही सुख समृद्धि और खुशहाली भी मिलती है। श्रद्धालु व्रत करता को प्रातः काल स्नान ध्यान वह अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना के बाद शनि व्रत का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही संपूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत करना चाहिए। सायं काल पुनः स्नान कर शनिदेव का श्रंगार कर उनकी विधि-विधान पूर्वक पूजा करने के बाद काले रंग की वस्तुएं जैसे -काला वस्त्र काला साबुत उड़द, काला तिल, सरसों का तेल या तिल का तेल, काला छाता, लोहे का बर्तन एवं अन्य काले रंग की वस्तुएं अर्पित करना लाभकारी रहता है।

यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanti: काशी में फीका रहा हनुमान जयंती का उत्सव, संकट मोचन मंदिर पहुंचे गिनती के श्रद्घालु

इस दिन शनि देव के मंदिर में सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करना तथा तेल की अखंड ज्योत जलाना उत्तम माना गया है। सायं काल शनिदेव के मंदिर में पूजा करके दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। सायं काल शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करने का विधान माना गया है। पूजा—अर्चना और दान करने से शनि जनित कष्टों का निवारण होता है। शनि देव शीघ्र प्रसन्न होकर व्रत की मनोकामना को पूर्ण कर सुख सौभाग्य में अभिवृद्धि करते हैं। जिन्हें जन्म कुंडली के अनुसार शनि ग्रह प्रतिकूल हो या शनि ग्रह की महादशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा शनि ग्रह की लड़ाई अथवा साढ़ेसाती हो उन्हें आज के दिन व्रत रखकर शनिदेव की पूजा का संकल्प लेकर शनिदेव की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करके लाभान्वित होना चाहिए।