
मेरठ। Pitru Paksha 2019 इस बार 13 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। भाद्रपद मास की पूर्णिमा और अश्विनी माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा के दिन से शुरू होने वाले श्राद्ध हिंदू धर्म के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। श्राद्ध पूरे एक साल बाद आते हैं और इन दिनों में लोग अपने पितरों को याद करने और प्रसन्न करने के लिए किए धार्मिक काम करते हैं। पंडित ज्ञान भूषण के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष के पंद्रह दिन पितृ पक्ष कहे जाते हैं। श्रद्धालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, पंद्रह दिन और 17 दिन का कर्मकांड करते हैं। इस दौरान पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध किया जाता। पौराणिक मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों को याद कर किया जाने वाला पिंडदान (Pind daan) सीधे उन तक पहुंचता है और उन्हें सीधे स्वर्ग तक ले जाता है।
20 साल बाद बन रहा यह योग
ज्योतिषाचार्य भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि इस साल पितृ पक्ष में दशमी और एकदशी का श्राद्ध एक ही दिन होगा। दरअसल 24 सितंबर को दशमी 11.42 तक रहेगी और फिर एकादशी लग जाएगी। ऐसे में मध्य समय में दोनों तिथियों का योग होने से श्राद्ध एक ही दिन होगा। ऐसा 20 साल बाद हो रहा है, जबकि दोनों तिथियों के श्राद्ध का योग एक ही दिन बन रहा है।
किस दिन किया जाता है श्राद्ध
इस दौरान जिस शख्स की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है, उसी तिथि में उसका श्राद्ध किया जाता है। यहां महीने से कोई लेना-देना नहीं होता। जैसे किसी की मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई, तो उसका श्राद्ध पितृपक्ष में प्रतिपदा तिथि को करना चाहिए। यही नहीं जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए। साथ ही किसी की अकाल मृत्यु यानी गिरने, कम उम्र, या हत्या ऐसे में उनका श्राद्ध भी अमावस्या तिथि को ही किया जाता है। इस साल पितृ पक्ष 28 सितंबर को खत्म होंगे।
Published on:
13 Sept 2019 01:17 pm
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