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बिजली के निजीकरण को लेकर हड़ताल, कहा- निजीकरण किसी कीमत पर स्वीकार नहीं

पीवीवीएनएल परिसर में कर्मचारी से अधिकारी तक धरने पर बैठे

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मेरठ। बिजली के निजीकरण के विरोध में पीवीवीएनएल के मुख्यालय में बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं ने एक दिवसीय पूर्ण हड़ताल और धरना दिया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के आहवान पर 19 मार्च से चल रहे विरोध प्रदर्शन के आठवें दिन पूर्णता कार्य का बहिष्कार किया गया। कर्मचारियों का आरोप है कि प्रदेश सरकार पांच शहरों लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ, मुरादाबाद में विद्युत निजीकरण के टेण्डर करने की हठधर्मिता कर रही है। जिसके विरोध में सुबह 10 बजे से पांच बजे तक प्रदेश भर में पूर्णकालीन हड़ताल एवं कार्य बहिष्कार किया गया।

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हड़ताली कर्मचारियों का कहना है

विद्युत कर्मचारी संघ का कहना है कि प्रदेश के सरकारी विभागों पर 10,800 रुपया का बकाया है। कितनी विडंबना है कि सरकार इन बकायों को अदा करने के बजाए घाटे के नाम पर बिजली के निजीकरण का निर्णय ले रही है। पिछले सात वर्षों से कैग रिपोर्ट के अनुसार 4000 करोड़ से भी अधिक विभाग को घटा टोरेन्ट पावर के द्वारा बिजली विभाग को पहुंचाया गया है। प्रतिवर्ष 485 करोड का घाटा विद्युत विभाग को टोरेन्ट पावर द्वारा प्रतिवर्ष पहुंचाया जा रहा है। इसी तरह एनपीसीएल नोएडा द्वारा भी अरबों रूपये का चूना विभाग को लगाया जा रहा है। संघर्ष समिति ने निर्णय लिया कि लखनऊ की तरह प्रदेश भर में सरकारी विभागों की बिजली काटने का अभियान और तेज कर दिया जाएगा। कर्मचारियों का कहना था कि मेरठ के सरकारी विभागों पर भी करोड़ों रुपया विद्युत विभाग का बकाया पड़ा है।

सरकारी विभागों की बिजली काटें

यहां भी अब सरकारी विभाग की बिजली काटने का अभियान चलाया जाएगा। जब तक कि सरकारी विभाग बिजली विभाग का बकाया जमा नहीं कर देते उनकी बिजली नहीं जोड़ी जाएगी। मेरठ जोन प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व अदा करता है। उसके बावजूद भी इसको प्राइवेट सेक्टर में दिया जा रहा है। संघर्ष समिति की हुई बैठक में समस्त प्रदेश कर्मचारी अधिकारी संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भारी संख्या में उपस्थित रहे। इसमें अधीक्षण अभियंता सीपी सिंह, जेके सिंह,एके सिंह , अरविंद कुमार, दीपचंद, अरूण कुमार आदि उपस्थित रहे।

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