
Police constable's son commits suicide by hanging
मेरठ ( meerut news ) मेरठ के दीवान पब्लिक स्कूल के एक टीचर ने फांसी लगाकर ( Suicide ) आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि टीचर काे फरवरी से सैलरी नहीं मिल पाई थी जिस कारण वह बाइक की किश्त भी नहीं भर पा रहे थे। यह टीचर स्कूल प्रबंधन को पिछले सात सालों से अपनी सेवा दे रहे थे।
अध्यापक के आत्महत्या करने की घटना से परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। परिजनों का कहना है कि आशीष रोज ही स्कूल की प्रिंसपल व अन्य लोगों से सेलरी देने के लिए फोन किया करता था लेकिन वहां से केवल आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। बताया जा रहा है कि आशीष ने एक बाइक फाईनेंस करा रखी थी जिसकी किश्त भी पिछले पांच महीनों से नहीं भरी गई थी।
अपने टीचर को तनख्वाह समय पर नही देने का यह कोई इकलौता मामला नही है, कई स्कूलों के टीचरों ने आफ द रिकार्ड जानकारी दी कि उन्हें भी पिछले कई महीनों से मानदेय नहीं मिला। आवाज़ उठानें पर नौकरी जानें का खतरा बना रहता है। ऐसे में शिक्षक आवाज उठाते हुए भी डरते हैं।
चार से पांच हजार मिलती है सैलरी
प्राइवेट स्कूल भले ही फीस के नाम पर अभिभावकों से अच्छी खासी रकम लेते हों लेकिन शिक्षकों काे चार से पांच हजार रुपये ही सैलरी दी जाती है। गिनती के ही स्कूल ऐसे हैं जिनमें टीचर काे सरकार के प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों के बराबर सैलरी मिलती हैं। सैलरी को लेकर विराेध ना हाे इसलिए अधिकांश स्कूल महिला टीचर रखते हैं और उन्हे मामूली वेतन ही दिया जाता है।
Published on:
24 Aug 2020 09:32 pm
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