
मेरठ. कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन ने लोगों का रोजगार खत्म कर दिया है तो लाखों लोगों की नौकरी चली गई। कोरोना से हर वर्ग के लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इनमें वे भी शामिल हैं, जो भारत के लिए भविष्य में ढेरों पदक जीतने का माद्दा रखते हैं। स्वर्णिम जीत के बाद पदक हासिल करने वाले हाथों में सब्जी बेचने का तराजू आ गया है। कोरोना लॉकडाउन में हर किसी को वे दिन देखने पड़ रहे हैं, जिनकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
दरअसल, कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम के तीरंदाज नीरज चौहान और बॉक्सर सुनील चौहान के दो खिलाड़ी पिता की नौकरी जाने के बाद दर-दर को ठोंकरें खाकर ठेले पर सब्जी बेचने को मजबूर हैं। सुनील 'खेलो इंडिया' के बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं तो नीरज ने जूनियर व सीनियर तीरंदाजी में कई पदक अपने नाम किए हैं। नीरज सोनभद्र के हॉस्टल का प्रशिक्षु है। लॉकडाउन के कारण वह अपने घर मेरठ के स्टेडियम में रह रहे परिवार के साथ आ गया था। तब से वह यहीं पर है।
स्टेडियम में रसोइया का काम करने वाले अक्षय लाल चौहान की यहां प्राइवेट नौकरी है। जब हॉस्टल के बच्चे अपने-अपने घर चले गए तो स्टेडियम में परिवार के साथ रह रहे अक्षय को अपने दोनों खिलाड़ी बेटों के साथ जिन्दगी बिताने में कठिनाई आयी। चार महीने से वेतन नहीं मिलने के बाद पिता और दोनों बेटों ने सब्जी का ठेला लगाकर गुजर-बसर करने की ठान ली। अब तीनों लोग स्टेडियम के आसपास और इलाके में अन्य जगह सब्जी बेचते हैं। इसके अलावा अक्षय घरों में जाकर खाना बनाने का काम भी कर रहे हैं, जो पैसा मिलता है उससे ये लोग अपना पेट भर रहे हैं।
Published on:
19 Aug 2020 01:01 pm
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