
लोक सभा चुनाव से पहले योगी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग पर खेला यह दाव, इससे विपक्ष को लगा जोर का झटका
केपी त्रिपाठी, मेरठ। चुनाव से पहले प्रदेश सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए बड़ा दांव खेला है। भाजपा को अंदेशा है कि कहीं चुनाव के नजदीक आते ही जाट समेत अन्य पिछड़ी जातियां आरक्षण की मांग न करने लगे, इसलिए सरकार ने अभी से ही इस मुद्दे की हवा निकाल दी है। सरकार ने जाट समेत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के मुद्दे पर महत्वपूर्ण राजनैतिक कदम उठाया है। प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय में जाट समेत ओबीसी जातियों के पिछड़ेपन पर विचाराधीन याचिकाओं के संबंध में एक कमेटी गठित कर दी है। जाट और ओबीसी जातियों के सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन का आंकलन अब यह कमेटी करेगी।
सामाजिक-राजनीतिक विवाद को जन्म
सरकार के इस नए पैंतरे से ओबीसी जातियों के पिछड़ेपन का आंकलन एक नए सामाजिक और राजनीतिक विवाद को जन्म दे सकता है, क्योंकि कोई भी जाति इस आकलन के आधार पर आरक्षण से वंचित नहीं होना चाहेगी।
प्रदेश शासन ने दाखिल की थी रिट
सूत्रों के अनुसार प्रदेश शासन ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में जाट सहित अन्य पिछड़े वर्ग के पिछड़ेपन को लेकर दाखिल रिट याचिका संख्या-27240/2011, रिट याचिका संख्या-63824/2015 तथा रिट याचिका संख्या-20851/2017 में पारित आदेशों और निर्णय के तहत सन्दर्भ बिन्दुओं पर विचार करने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। यह समिति जाट जाति सहित अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों/वर्गों के सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन का आकलन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।
गठित की गई कमेटी
इस संबंध में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव महेश कुमार गुप्ता द्वारा गठित की गई कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राघवेन्द्र कुमार होंगे, जबकि रिटायर्ड आईएएस जेपी विश्वकर्मा, बीएचयू के प्रोफेसर भूपेन्द्र विक्रम सिंह और आजमगढ़ के अधिवक्ता अशोक राजभर सदस्य बनाये गए हैं। इस कमेटी में भी सरकार ने उसी जाति के लोगों को रखा है। जिससे कि कोई विवाद की स्थिति न पैदा हो सके।
लंबे समय से उठ रही जाट आरक्षण की मांग
जाट आरक्षण की मांग काफी लंबे समय से उठ रही हैं। मेरठ में भी जाट आरक्षण को लेकर कई बार रैलियां हो चुकी थी। जाट आरक्षण के लिए संघर्षरत जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने बताया कि यह भाजपा सरकार के ओबीसी विरोधी रवैये के चलते इन जातियों के पिछड़ेपन का आंकलन करना पड़ रहा है। इसके पीछे कहीं न कहीं भाजपा सरकार का इरादा जाट, यादव, कुर्मी, लोध जैसी ओबीसी जातियों के दावेदारी को कमजोर करने का है। कमेटी द्वारा रिपोर्ट तीन महीने में शासन को देनी होगी। जिससे कि चुनाव के नजदीकी समय में इन जातियों द्वारा उठाए गए आरक्षण के मुद्दों पर रोका जा सके।
इन बिंदुअों पर काम करेगी कमेटी
पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की समस्त योजनाओं, व्यवस्थाओं एवं सुविधाओं का विश्लेषण। वर्तमान परिस्थितियों में पिछड़े वर्ग के अन्तर्गत विभिन्न वर्गों/जातियों की वर्तमान सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति का सर्वे। प्रदेश में निर्धारित आरक्षण व्यवस्था के अधीन शैक्षणिक क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के विभिन्न वर्गों/जातियों की भागीदारी का आंकलन। प्रदेश में निर्धारित आरक्षण व्यवस्था के अन्तर्गत सरकारी सेवाओं में पिछड़े वर्ग की विभिन्न जातियों की भागीदारी का आंकलन आदि।
- पिछड़े वर्ग के अन्तर्गत विभिन्न वर्गों, जातियों के संदर्भ में आरक्षण व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए अन्य राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन एवं इस सम्बन्ध में विभिन्न उच्च न्यायालयों एवं उच्च्तम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त का उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय का उद्देश्य प्राप्त करने हेतु उपयोग किये जाने के लिए सुझाव
- पिछड़े वर्ग के कल्याणार्थ राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही समस्त योजनाओं को सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से और प्रभावी एवं उद्देश्यपरक बनाए जाने हेतु संस्तुतियां उपलब्ध कराया जाना
- पिछड़े वर्ग के विभिन्न वर्गों, जातियों के लिए आरक्षण व्यवस्था को सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण और प्रभावी और उद्देश्यपरक बनाये जाने के लिए संस्तुतियां उपलब्ध कराया जाना।
- अन्य बिन्दु, जिसे राज्य सरकार समय-समय पर संदर्भित करना चाहिए।
Published on:
05 Jul 2018 09:55 am
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