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यूपी में फिर नाम बदलने की राजनीति: बैरिस्टर यूसुफ इमाम का नाम मंडलीय अस्पताल के बोर्ड से हटाया गया

यूसुफ इमाम का नाम हटाये जाने के बाद अब इस पर विवाद शुरू हो गया है

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यूपी में फिर नाम बदलने की राजनीति: बैरिस्टर यूसुफ इमाम का नाम मंडलीय अस्पताल के बोर्ड से हटाया गया

सुरेश सिंह की रिपोर्ट...

मिर्ज़ापुर. भाजपा सरकार बनने के बाद प्रदेश में नाम बदलने को लेकर सियासत तेज हो गयी है। इसी नाम बदलाव को लेकर इन दिनों विवाद तेज हो गया है। दरसल जिले के सबसे बड़े अस्पताल का दर्जा प्राप्त मण्डलीय अस्पताल के नाम के आगे लगे पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बैरिस्टर यूसुफ इमाम का नाम हटा बोर्ड से गायब कर दिया गया। अस्पताल से यूसुफ इमाम का नाम हटाये जाने के बाद अब इस पर विवाद शुरू हो गया है।

बतादें कि आजादी के बाद जिले में जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के सबसे नजदीकी परिवार में गिने जाने वाले यूसुफ इमाम का परिवार इसे भाजपा कि साजिश बताते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कि पहचान खत्म करने का कि बात कह रहे है। हालांकि अस्पताल के बोर्ड से जरूर यूसुफ इमाम का नाम गायब हो गया हो मगर अस्पताल के कागज व पर्चियों पर उनका नाम अभी भी चल रहा है। कहते है नाम मे क्या रख्खा है मगर भाजपा सरकार बनने के बाद अब नाम ही राजनीति का आधार हो गया है। इसी नाम को लेकर इन दिनों विवादों में जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल उलझ गया हैं।विवाद कि शुरुआत हुआ अस्पताल के प्रवेश द्वार और अस्पताल के मुख्य द्वार पर लिखे नाम को बदलने से।अस्पताल प्रसासन ने रंग रोगन में अस्पताल का नाम बैरिस्टर यूसुफ इमाम जिला चिकित्सालय से बदल कर इसका नाम मंडलीय चिकित्सालय मिर्ज़ापुर रख दिया।

हालांकि अभी नाम मे बदलाव अस्पताल के मुख्य बोर्ड और प्रवेश द्वार पर हुआ है।अस्पताल के अंदर पर्चियों में अभी भी बैरिस्टर यूसुफ इमाम का नाम दर्ज है।मगर परिजनों की आशंका है कि जैसे पहचान मिटाने के लिए अस्पताल के बाहर लगे बोर्ड पर नाम बदल दिया गया है। वैसे ही धीरे धीरे अस्पताल की पर्चियों से भी नाम गायब हो जाएगा। बतादें कि तीन सौ बेड वाले जिला अस्पताल का नाम 1984 में तत्कालीन स्वास्थ मंत्री लोकपति त्रिपाठी ने स्वतंत्रता सेनानी यूसफ इमाम के नाम पर करने का निर्णय किया था ।2 अक्टूबर 1985 को तत्कालीन स्वास्थ मंत्री लोकपति त्रिपाठी संयुक्त चिक्तिसल मिर्ज़ापुर का नाम बैरिस्टर यूसुफ इमाम सयुक्त चिकित्सालय मिर्ज़ापुर के नाम पर रखने की घोषणा किया।जिसकी विज्ञप्ति यूपी सरकार ने 30 जनवरी 1986 को जारी किया था। तत्काल प्रभाव से नाम रखने की घोषणा किया।

मगर किन्ही कारणों से नाम मे बदलाव नही हो सका। इसके पश्चात प्रदेश में कांग्रेस कि सरकार जाने के बाद नाम परिवर्तन पूरा नही हो पाया।4 जनवरी 2000 को निदेशक उपचार चिकित्सा एवं स्वास्थ सेवा एजी रिजवी के आदेश पर तत्कालीन सीएमओ जे पी पांडेय जिला चिकित्सालय मिर्ज़ापुर का नाम बैरिस्टर यूसुफ इमाम सयुक्त चिकित्सालय कर दिया। तब से यह इसी नाम से संचालित होता था। मगर भाजपा सरकार बनने के बाद बैरिस्टर यूसुफ इमाम का नाम अस्पताल के बोर्ड से गायब हो गया। जिसको लेकर अब विवाद शुरू हो गया है।

कौन थे यूसुफ इमाम

शहर के रामबाग निवासी पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी युसूफ इमाम की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका रही। नमक सत्याग्रह आंदोलन में छह माह और असहयोग आंदोलन में पंद्रह महीने कि सजा हुई।देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बेहद करीबी युसूफ इमाम का जन्म जनवरी 1896 में में हुआ था। इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के बाद व 1912 में इंग्लैंड चले गए। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया जहां उनकी मुलाकात पंडित जवाहर लाल नेहरू से हुई। पढ़ाई पूरी करने के बाद 1918 में वह स्वदेश लौटे। 1921 में वह गांधी जी के नेतृत्व में चल रहे असहयोग आंदोलन में कूदे और पंद्रह महीने तक जेल काटी।1929 में मिर्जापुर लौटने के बाद यही से आजादी कि लड़ाई के लिए लोगो को प्रेरित करते रहे।उनकी सक्रियता देख अग्रेजो ने एक बार फिर नमक सत्याग्रह आंदोलन में उन्हें गिरफ्तार किया वह छह महीने तक जेल रहे। उस दौर में रामबाग स्थित उनका आवास स्वतंत्रा संग्राम आन्दोलन का केंद्र बन चुका था।आजादी के पूर्व ही युसूफ इमाम का 20 जुलाई 1944 को देहांत हो गया।हालांकि इसके बाद उनके पुत्र अजीज इमाम नेहरू और इंदिरा गांधी के बेहद नजदीकी रहे और कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव बने। कांग्रेस के टिकट पर जिले से वह दो बार सांसद व चार बार विधायक बने ।