
कर्नाटक: खुदाई के दौरान मिले 1000 रॉकेट, टीपू सुल्तान के शासनकाल में होते थे इस्तेमाल
शिवमोगा। कर्नाटक में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के शासनकाल के दौरान इस्तेमाल किए गए करीब 1,000 'रॉकेट' मिले हैं। ये रॉकेट शिवमोका जिले के गांव में कुएं के तलछट की खुदाई में मिले। खबरों के मुताबिक बिदानुरु में एक खेत के पुराने कुएं की खुदाई के दौरान मजदूरों को लोहे के बेलनाकार रॉकेट मिले। इनमें पोटेशियम नाइट्रेट, चारकोल और मैगनीशियम पाउडर भरा हुआ है। पुरातत्व विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि इसी जगह पर छह साल पहले भी टीपू सुल्तान काल के इसी तरह के रॉकेट मिले थे। तब उनकी संख्या 160 थी।
म्यूजियम की शोभा बढ़ाएंगे रॉकेट
अधिकारी का कहना है कि इन रॉकेटों को 'शिवप्पा नायक म्यूजियम शिवमोगा' में रॉकेट गैलरी के तौर पर संरक्षित किए जाएंगे। बता दें कि टीपू सुल्तान काल के इसी तरह के रॉकेटों को लंदन म्यूजियम में संरक्षित रखा गया है। दस्तावेजों के मुताबिक, शिवमोगा पहले मैसूर रियासत का हिस्सा था। तब 1750 से 1799 के बीच टीपू और ब्रिटिश सेना के बीच कई युद्ध हुए। तब टीपू सुल्तान की सेना ने इन्हीं रॉकेट का इस्तेमाल किया था।
टीपू सुल्तान की असली ताकत थे रॉकेट
भारत में 16वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान को युद्ध में रॉकेट तकनीक का जनक माना जाता है। टीपू सुल्तान ने युद्ध के दौरान छोटे-छोटे रॉकेट का उपयोग कर दुश्मनों को धूल चटा दी थी। दुनिया में वो अपनी तरह का पहला प्रयोग था इसलिए उन्होंने दुनिया का पहला मिसाइल मैन भी कहा जाता है। कहा जाता है कि दुश्म की सेना को नुकसान पहुंचाने में तो रॉकेट ज्यादा कारगर नहीं थे लेकिन खलबली जरूर मचा देते थे। कहा जाता है कि टीपू सुल्तान की सेना जिन रॉकेट्स का इस्तेमाल करती थी वे रॉकेट दो किलोमीटर तक मार करने में सक्षम हुआ करते थे। अंग्रेजों के खिलाफ पोल्लिलोर की लड़ाई में जब उन्होंने रॉकेट का इस्तेमाल किया तो वो हैरान रह गए।
Published on:
29 Jul 2018 01:23 pm
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