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नई दिल्ली। देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के बीच बुद्धिजीवियों का एक धड़ा CAA के समर्थन में आ गया है। कानून के समर्थन में उतरे बुद्धिजीवियों की संख्या 1100 से भी अधिक बताई जा रही है।
इन बुद्धिजीवियों ने सीएए के समर्थन में एक बयान जारी कर इसे अल्पसंख्यकों के पक्ष में बताया है।
आपको बता दें कि इन बुद्धिजीवियों में इनमें शिक्षाविद, रिसर्च स्कॉलर्स और वैज्ञानिकों के अलावा भारतीय व विदेशी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, असोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एम्स, आईआईएमएस और आईआईटी के वैज्ञानिक शामिल हैं।
बुद्धिजीवियों की ओर से जारी बयान में नागरिकता संशोधन कानून के लिए सरकार और भारतीय संसद को बधाई दी गई है।
उन्होंने बयान में कहा है कि सीएए के माध्यम से सरकार और संसद दुनिया भर में उपेक्षित और उत्पीड़न का शिकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए आगे आई है।
इस दौरान उन्होंने 1950 में पंडित नेहरू और लियाकत अली के बीच हुए समझौते का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस समझौते को असफल होने के बाद से ही पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दिए जाने की मांग उठती रही है।
इसके साथ ही बुद्धिजीवियों ने CAA को पूरी तरह भारत के सेक्युलर संविधान के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा कि यह कानून भारत की नागरिकता चाहने वाले किसी भी देश के शख्स के आड़े नहीं आता।
कौन-कौन लोग हैं शामिल
Updated on:
22 Dec 2019 12:06 pm
Published on:
22 Dec 2019 07:50 am
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