
2002 गुजरात दंगा: जाकिया जाफरी की याचिका पर फिर टली सुनवाई, अब जनवरी में होगी सुनवाई
नई दिल्ली। साल 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को SIT की क्लीनचिट के खिलाफ दायर याचिका पर एकबार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। गुलबर्ग सोसाइटी मामले में जकिया जाफरी की याचिका पर अब जनवरी, 2019 के तीसरे हफ्ते में सुनवाई होगी। सोमवार को जकिया जाफरी ने कोर्ट से कहा कि उन्हें अभी दस्तावेज इकट्ठा करने के लिए कुछ वक्त और चाहिए, जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई के लिए आगे की तारीख दे दी।
13 नवबंर को मंजूर हुई थी याचिका
पहली बार 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने जाकिया जाफरी की याचिका सुनवाई को मंजूरी देते हुए कहा था कि इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की क्लोजर रिपोर्ट के अध्ययन की जरूरत है। जिसके बाद तीन बार मामले की सुनवाई टल चुकी है।
मोदी समेत 58 अन्य को मिली थी क्लीनचिट
बता दें कि 28 फरवरी 2002 के दिन कुछ लोगों ने अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी पर हमला बोल दिया। इस हमले में कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की हत्या कर दी गई थी। पूरे देश को दहला कर रख देने वाले इस सांप्रदायिक दंगे की जांच के लिए एक एसआईटी गठित की गई थी। इस टीम ने दंगे के वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी और 58 अन्य आरोपियों को क्लीनचिट दे दी थी। इस क्लीनचिट को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी गई लेकिन अक्टूबर 2017 में हाई कोर्ट ने इसे सही माना था। उस वक्त कोर्ट ने साफ कर दिया था कि गुजरात दंगों की दुबारा जांच की जरुरत नहीं है। उस वक्त भी जकिया और संगठन सिटिजंस फॉर जस्टिस ऐंड पीस ने फैसले पर सवाल उठाया था।
गुलबर्ग सोसायटी में हुई थी 68 लोगों की मौत
एसआईटी ने सबूतों को नहीं माना था पर्याप्त इस मामले में विशेष जांच दल ने आठ फरवरी, 2012 को मामला बंद करने की रिपोर्ट में मोदी और 58 अन्य को क्लीनचिट देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य साक्ष्य नहीं है। गोधरा में 27 फरवरी को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में कार सेवकों के डिब्बे में हुए अग्निकांड की घटना के अगले दिन अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में उग्र भीड़ के हमले में पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 68 व्यक्ति मारे गए थे।
Published on:
03 Dec 2018 03:14 pm
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