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663 लोगों पर 1 पुलिसवाला, लेकिन 1 VIP के लिए 3 तैनात

देश में 20 हजार वीआईपी की सुरक्षा में करीब 3 पुलिसकर्मी हैं लेकिन 663 आम लोगों पर केवल 1 पुलिसकर्मी तैनात है।

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नई दिल्ली. भले ही सरकार कहती हो कि उसने VIP कल्चर को खत्म किया है, लेकिन आंकड़े इसके विपरीत जवाब देते हैं। देश में VIP कल्चर किस तरह हावी है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में 20 हजार अतिविशिष्ट व्यक्ति (वीआईपी) की सुरक्षा में करीब 3 पुलिसकर्मी हैं लेकिन 663 आम लोगों पर केवल 1 पुलिसकर्मी तैनात है। आंकड़ों बताते हैं कि 20,000 वीआईपी की सुरक्षा के लिए एवरेज 3 पुलिसवाले तैनात हैं। ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट (बीपीआरडी) ने गृह मंत्रालय के लिए यह डेटा तैयार किया है। आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में देश में 19.26 लाख पुलिसकर्मी हैं। इनमें से 56,944 पुलिसकर्मी 20,828 लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए हैं।

लक्षद्वीप में एक भी वीआईपी नहीं

रिसर्च कहती है कि 29 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में वीआईपी के लिए तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या औसतन 2.73 है। लक्षद्वीप अकेला संघशासित प्रदेश है जहां किसी भी वीआईपी की सुरक्षा में कोई पुलिसकर्मी तैनात नहीं है। एक रिसर्च के अनुसार दुनिया में भारत आम लोगों के लिए सबसे कम पुलिसकर्मियों वाला देश है। भारत में 663 आम लोगों पर केवल 1 पुलिसकर्मी है।

पूर्वी और उत्तर भारत में ज्यादा वीआईपी
बीपीआरडी की रिसर्च कहती है कि वीआईपी कल्चर पूर्वी और उत्तर भारत में सबसे ज्यादा हावी है। बिहार राज्य का आम जनता के लिए पुलिसकर्मियों की नियुक्ति का अनुपात सबसे खराब है। बिहार में 3,200 वीआईपी की सुरक्षा के लिए 6,248 पुलिसकर्मी तैनात हैं। पश्चिम बंगाल में 2,207 वीआई हैं और उनकी सुरक्षा के लिए 4,233 पुलिसकर्मी हैं। बंगाल में वीआईपी सुरक्षा के लिए नियमों के तहत सिर्फ 501 पुलिसकर्मी ही नियुक्त करने का प्रावधान है।


एक मई से खत्म हुई लालबत्ती
केंद्र सरकार ने वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए १ मई से लालबत्ती के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अब लालबत्ती का इस्तेमाल नहीं करते हैं न ही कोई मंत्री। 1 मई से अधिकारियों, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और जजों को अपनी कारों पर लालबत्ती इस्तेमाल करने पर प्रतिबंधित कर दिया गया है। केवल आपातकालीन वाहनों को नीली बत्ती इस्तेमाल की अनुमति मिली है। यह नियम लागू करने से पहले से यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय में लगभग डेढ़ साल से लंबित था। इस दौरान पीएमओ ने पूरे मामले पर कैबिनेट सेक्रटरी सहित कई बड़े अधिकारियों से चर्चा की थी।