31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल: भोपाल के लिए काल बनकर आई यह रात, हुई हजारों लोगों की मौत

36 साल पहले दो दिसंबर 1984 की रात को भोपाल में हुआ था गैस त्रासदी कांड भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने में हुआ था जहरीली गैस का रिसाव

2 min read
Google source verification

image

Pratibha Tripathi

Dec 02, 2020

Bhopal gas tragedy

Bhopal gas tragedy

नई दिल्ली। समय बदला, सरकारे बदलीं, बदल गई इस शहर की तस्वीर, लेकिन अंदर छिपे जख्म आज भी ताजा है। हम बात कर रहे हैं आज से 36 साल पहले हुए उस भयानक हादसे की, जिसने आज ही के दिन, दो दिसंबर 1984 की रात में, भोपाल की रात को काली रात में बदल दिया था। इस कांड के बाद से जो तस्वीरें सामने आईं थीं वो दिल दहला देने वाली थीं। किस तरह से एक के बाद एक इंसानो की जिंदगी मौत के आगोश में जाती गईं। मौत ने ऐसा तांडव मचाया कि आज तक उसके जख्म नहीं भर सके। इस घटना ने पूरी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी थी। आइए उस हादसे को इन तस्वीरों से महसूस करें और जानें कि कैसे पूरी दुनिया के लिए ये हादसा एक सबक बन गया।

यह घटना भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकली जहरीली गैस के रिसाव के कारण हुई थी। जिसके लीक होने की वजह एक लापरवाही थी, जिसमें सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 5 लाख 58 हजार 125 लोग मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के साथ जहरीले रसायनों के रिसाव की चपेट में आ गए। इस हादसे से तकरीबन 25 हजार लोगों की जान गई।

एक तरफ इस कांड से लोग तड़प-तड़पकर मर रहे थे, तो दूसरी ओर यूनियन कार्बाइड के मुख्य प्रबंध अधिकारी वॉरेन एंडरसन रातो-रात भारत से अमेरिका भाग गए। इस घटना ने ना सिर्फ उस पूरी नस्ल को बल्कि आने वाली नस्ल को भी बर्बाद कर दिया, जो भविष्य में पैदा होने वाले हैं ।

त्रासदी के बाद भोपाल में जिन बच्चों ने जन्म लिया वो विंकलाग, बहरे, अंधे, पैदा हुए, कई तो खतरनाक बीमारी के साथ इस दुनिया में आए। और यह सिलसिला आज भी रुकने का नाम नही ले रहा है। इस त्रासदी से ज्यादा प्रभावित इलाकों में आज भी कई बच्चे असामान्य स्थिति में पैदा होते रहे हैं।

आज इस घटना के 36 साल पूरे हो गए हैं, कुछ आरोपी तो इनमें से खत्म भी हो गए हैं। जिन लोगों को अदालत ने दो-दो साल की सजा सुनाई थी वे सभी आरोपी जमानत पर रिहा भी कर दिए गए। अब तो यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के मालिक और इस त्रासदी के मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन की भी मौत 29 सिंतबर 2014 को हो गई है। लेकिन पीड़ितों का दर्द अब भी बरकरार है। और इस दर्द में मरहम लगाने के लिए कोई भी सरकार आगे नही आई हैं जो पीड़ितों की बुनियादी सुविधाओं को भी पूरा कर सके।

गैस पीड़ितों को पूरी सुविधाएं मिल सकें इसके लिए भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने अकेले रहकर अवाज उठाई थी। उन्होंने बताया था कि 14-15 फरवरी 1989 को केन्द्र सरकार और अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (यूसीसी) के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से धोखा था, और उसके तहत मिली रकम का हिस्सा भी गैस प्रभावित लोगों के नाम ले कर खा लिया गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि, गैस प्रभावितों को अपने रहने खाने के साथ मुआवज़ा, पर्यावर्णीय क्षतिपूर्ति और न्याय इन सभी के लिए लगातार लड़ाई लड़नी पड़ी है। अब अब्दुल जब्बार भी इस दुनिया में नही हैं। और उनके जाने के बाद से यह जंग थम गई है। और गैस पीड़ितों क लोगों की अवाज भी दफन होकर रह गई।