
28 सितंबर 2016 भारत के इतिहास का एक सुनहरा अध्याय है। इस दिन भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी शिविरों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान सहित पूरी दुनिया को बता दिया कि भारत अब दूसरों के घर में घुस कर भी आतंक का खात्मा करना जानता है। इस हमले में भारतीय सेना ने पाक आतंकियों के छह लॉन्चपैड को नष्ट कर दिया और लगभग 50 आतंकी इस कार्रवाई में मारे गए। इस हमले के दो वर्ष बाद 2018 में भारत सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मनाना शुरू किया।
18 सितंबर को उड़ी में हुए सेना पर हमले का जवाब थी सर्जिकल स्ट्राइक
उल्लेखनीय है कि 18 सितंबर को पाक समर्थित आतंकवादियों ने कश्मीर के उड़ी में सेना के ठिकाने पर घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे। सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकल और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के हाथ में थी। भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारिओं के साथ समन्वय कर सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी रुपरेखा बनाई गई तथा इसे क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी अलग-अलग सक्षम टीमों को सौंपी गई।
खास हथियारों का किया गया था प्रयोग
सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना के सबसे कुशल सैनिकों में से कुछ को चुन कर विशेष सैन्य टुकड़ियां बनाई गई जिन्हें अलग-अलग टार्गेट दिए गए। इस हमले में भारत की थल सेना और वायु सेना दोनों ने संयुक्त रूप से भाग लिया जबकि किसी भी विशेष आपातकालीन स्थिति के लिए नौसेना को भी अलर्ट पर रखा गया। स्ट्राइक में रात में देखने वाले उपकरणों, असाइल्ट राइफल, हाईली एफिशियंट ग्रेनेड्स तथा लड़ाकू विमानों का प्रयोग किया गया। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्लान बी को भी तैयार किया गया।
28 सितंबर की जल्दी सुबह हुआ हमला
भारतीय सेना द्वारा निर्धारित की गई रणनीति के तहत रात को हमला किया गया और सुबह 9 बजे तक सभी सैन्य टुकड़ियां वापस अपने स्थान तक लौट आई। इस हमले में POK स्थित आतंकियों के ठिकाने बुरी तरह नष्ट हो गए और आतंकियों की कमर बुरी तरह टूट गई।
Updated on:
28 Sept 2020 07:49 am
Published on:
28 Sept 2020 07:28 am
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