
Is Indian Universities Willing to conduct final year examinations
नई दिल्ली। अगर देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों द्वारा अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं आयोजित नहीं कराई गईं तो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( University Grants Commission ) उनकी डिग्रियों को मान्यता नहीं देगा। आयोग के इसी फैसले के मद्देनजर अब तक देशभर के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों ने स्नातक-परास्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों ( final year student ) की परीक्षाएं आयोजित करवाने पर सहमति जताई है। वहीं, सोमवार को इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद अब 14 तारीख को इस पर चर्चा की जाएगी।
ताजा जानकारी के मुताबिक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के आयोजन को लेकर अब तक देशभर के कुल 818 विश्वविद्यालयों द्वारा यूजीसी को जवाब भेजा जा चुका है। वहीं, 209 विश्वविद्यालयों ने यूजीसी को सूचित किया कि वे अपने संस्थानों में आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुके हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मुताबिक अब 394 विभिन्न विश्वविद्यालय ऐसे हैं जो अगस्त और सितंबर में ऑनलाइन, ऑफलाइन एवं मिले-जुले संसाधनों द्वारा इन परीक्षाओं ( university exams ) को आयोजित कराने की की तैयारी में जुटे हुए हैं। इतना ही नहीं देशभर के तकरीबन समस्त केद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा भी इनमें स्नातक-परास्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित किए जाने पर अपनी सहमति जता दी है।
यूजीसी के मुताबिक परीक्षा संचालित कराने के लिए 6 जुलाई को पुन: निर्धारित किए गए दिशा-निर्देशों ( UGC Guidelines for University Exams 2020 ) पर 51 केंद्रीय विश्वविद्यालय ( central universities ) से सकारात्मक मिल चुका है।
इनमें से कई केंद्रीय विश्वविद्यालय ऐसे हैं जिन्होंने अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर की ऑनलाइन परीक्षाएं संपन्न भी कर ली हैं, जबकि बाकी बचे रह गए केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने आश्वासन दिया है कि वे 30 सितंबर से पहले परीक्षाएं संपन्न करवा लेंगे।"
इसके अलावा यह भी जानकारी सामने आई कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परीक्षा में अगर टर्मिनल-सेमेस्टर-अंतिम वर्ष ( BA final year exam ) का कोई भी छात्र किसी भी कारण के चलते हाजिर होने में असमर्थ रह जाता है, तो संबंधित छात्र को ऐसे पाठ्यक्रमों व प्रश्नपत्रों के लिए विशेष परीक्षाओं में बैठने का मौका दिया जा सकता है।
हालांकि आयोग द्वारा लिए गए इस फैसले पर विशेषज्ञों की राय में मतभेद है। इस संबंध में दिल्ली यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य डॉ. वीएस नेगी ने बताया कि छात्रों द्वारा साथ चुने हुए प्रतिनिधियों से चर्चा किए बिना ऑनलाइन परीक्षा का संचालन करना उचित नहीं है। इस विषय पर पुनर्विचार कर विद्यार्थियों के हित में काम करना चाहिए। कुलपति जिस ढंग से फैसले लागू कर रहे हैं, वो विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ है।
उधर, मशहूर शिक्षाविद एसके वर्मा ने बताया कि यदि ऑनलाइन परीक्षाएं छात्रों के स्वास्थ्य व सुरक्षा से समझौता किए बिना करवाई जाएं तो यह एक अच्छा विकल्प होगा। इससे छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा साथ ही उनका मूल्यांकन किया जा सकेगा।
Updated on:
12 Aug 2020 10:03 am
Published on:
11 Aug 2020 09:41 pm
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