
घबराना कैसा? कोरोना का मतलब मौत नहीं, 85 फीसदी मरीज हुए सही
विवेक श्रीवास्तव
नई दिल्ली। कोरोना ( Coronavirus ) के डरने की कतई आवश्यकता नहीं है, एक गलत बात देशवासियों के जहन में फैल गई है कि कोरोना पॉजिटिव ( Corona positive ) होना अर्थात मौत। जबकि 85 फीसदी मरीज सही इलाज से ठीक हुए हैं। यह कहना है कोरोना ( Coronavirus in india ) से ठीक होने वाले डॉ. विवुध प्रताप सिंह का।
फ्रांस में एक कांफ्रेंस में शामिल होकर सिंह जब 22 मार्च को दिल्ïली लौटे तो एयरपोर्ट पर बिल्कुल स्वस्थ पाए गए और सरकार के निर्देशों के मुताबिक 14 दिन के लिए घर में क्वारंटाइन हो गए थे। इस दौरान फ्लाइट में एक कोरोना पॉजिटिव से सम्पर्क में आने के बारे में पता चला और 6 दिन बाद कोरोना के कुछ लक्षण भी दिखाई दिए, बेझिझक उन्होंने अपनी जांच करवाई जिसमें वे पॉजिटिव पाए गए थे और उनके परिवार के अन्य सदस्य नेगेटिव।
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इसके बाद सिंह का इलाज दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शुरू हुआ। इस दौरान अपने अनुभव को पत्रिका के साथ साझा करते हुए सिंह ने बताया कि यह समय आसान नहीं था मगर परिवार साथ देकर आत्मविश्वास बढ़ाएं। उनका कहना है कि कोरोना हो या अन्य कोई बीमारी इंसान को नकारात्मक बातें नुकसान पहुंचाती है। आजकल सोशल मीडिया के जरिए बहुत सी नकारात्मक खबरें फैल रही हैं, इससे बचना आवश्यक है। इसलिए इलाज के दौरान सोशल मीडिया पूर्णत: बंद कर दिया। देश में लोग कोरोना मरीज से नफरत करने लगे है। जबकि यह समय उसको हौंसला देने का होना चाहिए। अगर ऐसे समय में इंसान का आत्मविश्वास बढ़ता है तो उसका सीधा प्रभाव व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, इसका अनुभव उन्हें भी हुआ।
सिंह का कहना है कि कोरोना का भारत में कुछ ज्यादा ही डर फैला दिया गया है इसके कारण लोग जांच से डरने लगे है। जबकि ऐसा नहीं है कोरोना से बचाव सम्भव है। अगर किसी को थोड़ा जुकाम, बुखार जैसे लक्षण लगते हैं तो आइसोलेट होकर तुंरन्त जांच करवानी चाहिए, बहुत आसानी से इसका इलाज अस्पतालों में हो रहा है, बशर्ते आवश्यक निर्देशों का पालन किया जाए। दक्षिण एशिया के देशों में कोरोना को लेकर बहुत ज्यादा पैनिक हो गया है, जिसका एहसास भविष्य में होगा।
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डॉ सिंह को 3 अपे्रल को सफदरजंग अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है और 14 दिन घर में ही रहने के निर्देश दिए है। उनका कहना है कि अब दिन बड़ी मुश्किल से निकल रहे हैं, इस समय देश को उनकी आवश्यकता है, ऐसा अवसर हर इंसान को नहीं मिलता है। उनके अंदर सैनिक जैसी भावना उतपन्न हो रही है और 20 अप्रैल से वो कोरोना मरीजों की सेवा में लग जाएंगे।
Updated on:
11 Apr 2020 08:31 pm
Published on:
11 Apr 2020 07:08 pm
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