
AI Bots turning photos into nudes on Bombay HC Radar, seeks info from I&B Ministry
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बोट ( AI Bots ) को लेकर जानकारी मांगी है, जो महिलाओं की तस्वीरों को नग्न बना देते हैं। अदालत ने एक कहा कि एक नए ऑनलाइन दुरुपयोग के खतरे में एआई बोट महिलाओं की तस्वीरों को न्यूड बना देता है।
मीडिया ट्रायल पर सुनवाई
अदालत ने दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा मीडिया ट्रायल से संबंधित विभिन्न जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए रिपोर्ट में इस खतरे के बारे में चिंता जताई और अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएसजी) अनिल सिंह को मंत्रालय से निर्देश लेने के लिए कहा।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा, "अगर आप मंत्रालय से यह जान सकते हैं कि प्रिंट मीडिया ने क्या रिपोर्ट की है… हम चाहते हैं कि आप रिपोर्ट में दुर्भावना की जांच करें। कृपया मंत्रालय के साथ जांच करें।"
कार्रवाई संभव
एएसजी ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट देखी है और संबंधित अधिकारियों से बात की है। सिंह ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में धारा 69ए और 79 (3) (बी) के प्रावधान हैं, जिसके तहत इस खतरे के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "मुद्दा बेहद गंभीर है और आपको (मंत्रालय) कदम उठाने होंगे।"
जल्द कदम उठाएगा मंत्रालय
एएसजी ने पीठ को आश्वासन दिया कि मंत्रालय अदालत के मुद्दे और चिंताओं को जल्द से जल्द दूर करने के लिए कदम उठाएगा। किसी घटना की जांच में प्रगति की रिपोर्टिंग में बेवजह आगे जाने को लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) के तथ्यों की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ को एएसजी सिंह ने सूचित किया कि स्व-नियामक तंत्र पर्याप्त है और अतिरिक्त नियमों की कोई आवश्यकता नहीं है।
न्यूज चैनल करें कोड का पालन
सिंह ने बताया कि मंत्रालय ने एक कोड निर्धारित किया है जिसका पालन न्यूज चैनलों को करना है, चाहे वे किसी भी स्व-नियामक संघ का हिस्सा हों या नहीं। सिंह ने कहा, "चूंकि हम टीवी चैनलों पर हैं, फिर चाहे आप सदस्य हैं या नहीं, अगर उल्लंघन होता है, तो मंत्रालय कार्रवाई करेगा, हम कार्रवाई कर सकते हैं।" इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने एएसजी से मांग की कि न्यूज़ चैनल एयरवेव का उपयोग कर रहे हैं जो सार्वजनिक संपत्ति है और यदि चैनल इसका दुरुपयोग कर रहे हैं तो इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ विनियमन होना चाहिए।
Updated on:
21 Oct 2020 04:35 pm
Published on:
21 Oct 2020 04:28 pm
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