रांची। परमवीर चक्र विजेता दिवंगत लांस नायक अलबर्ट एक्का की विधवा बालमदिना एक्का ने गुरुवार को वह कलश लेने से मना कर दिया, जिसमें उनके पति की कब्र की मिट्टी रखी हुई है। उन्होंने इसकी प्रमाणिकता पर सवाल उठाए हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास कलश देने के लिए खुद गुमला गए थे।
अलबर्ट एक्का के बेटे विन्सेंट एक्का ने मीडिया से कहा कि हमें क्यों नहीं अगरतला ले जाया गया, जहां अलबर्ट एक्का के शव को दफनाया गया है? हम तथ्यों की जांच पड़ताल के बगैर इसे कैसे स्वीकार कर लें? राज्य सरकार को हमें वहां ले जाना चाहिए था और फिर कलश लाना चाहिए था। मुख्यमंत्री ने कलश गुमला के उपायुक्त को सौंप दिया।
एक्का भारत-पाकिस्तान की 1971 की जंग में त्रिपुरा के गंगासागर में शहीद हुए थे। उन्हें अगरतला से 15 किलोमीटर दूर धुल्की में दफनाया गया था। एक्का को उनकी बेमिसाल बहादुरी के लिए मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था। कलश को यहां 30 नवंबर को लाया गया। इसे मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंपा गया था जिन्होंने इसे खुद एक्का के परिजनों को देने की इच्छा जताई थी। उन्होंने जिला प्रशासन को इसके लिए व्यापक इंतजाम करने का निर्देश दिया था।
इससे पहले दास ने रांची के एलबर्ट एक्का चौक पर शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उनके साथ राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी थीं। उन्होंने इस मौके पर लोगों, खासकर युवाओं से एक्का से प्रेरणा लेने की अपील की। भाषण के बाद कलश को एक अच्छे से सजाई गई खुली वैन में रखा गया और काफिला रांची से गुमला के लिए रवाना हुआ। लेकिन, गुमला में एक्का के परिजनों ने कलश लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि स्थानीय विधायक शिव शंकर ओरांव के कोष से जिले में एक्का का स्मारक बनाया जाएगा।