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PM Modi के गृहनगर से खुदाई में सामने आए 2 हजार साल पुराने कमरे, जानें पुरातत्व ने क्या जताई आशंका

PM Modi के गृहनगर वडनगर में इन दिनों चल रहा खुदाई का काम खुदाई के दौरान मिले दो हजार वर्ष पुरानें बौद्ध कक्ष हाल में Archeology Department की टीम को मिट्टी के बर्तन, गहने और हथियार भी मिले थे

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Dheeraj Sharma

Jul 28, 2020

Archaeology Department found 2 thousand old room

खुदाई में सामने आए दो हजार वर्ष पुराने बौद्ध कक्ष

नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं दो हजार साल पहले किस तरह के कमरे हुआ करते थे। किस तरह के गहने और बर्तनों का इस्तेमाल होता है। नहीं तो हम आपको बताते हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( pm modi ) के गृहनगर यानी वडनगर ( Vadnagar ) से खुदाई में कई बड़े खुलासे हुए हैं।

वडगर में हुई खुदाई के दौरान करीब दो हजार साल पुराने दो बौद्ध कक्ष मिले हैं। पुरातत्व विभाग ( Archeology department ) की टीम का मानना है कि इन इलाकों में खुदाई से जो अवशेष मिल रहे हैं इनका हड़प्पा सभ्यता ( Harappan civilization ) के पुरातत्व स्थलों में से एक है।

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पुरातत्व विभाग की टीम को वडनगर में चल रही खुदाई के दौरान दो हजार साल पुराने दो बौद्ध कक्ष मिले हैं। यही नहीं इन कक्षों के साथ पुरातत्व की टीम को दो मीटर ऊंची और 1 मीटर चौड़ी दीवार भी मिली है, जो बताती है कि उस दौरान कमरे किस तरह तैयार किए गए थे।

इन अवशेषों बता चलता है कि उस दौरान भवन निर्माण का काम काफी मजबूती के साथ होता था। यही वजह है कि दो हजार वर्ष बाद भी इनके अवशेष मिल रहे हैं।

आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है, हाल में पुरातत्व की टीम को इन इलाकों से तीसरी व चौथी सदी के बौद्ध स्तूप के अवशेष और सातवीं-आठवीं सदी का एक मानव कंकाल भी मिले थे।

दरअसल इन दिनों गुजरात के कुछ इलाकों में पुरातत्व विभाग की खुदाई का काम चल रहा है। यही वजह है कि यहां से लगातार हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति और सभ्यता को अवशेष सामने आ रहे हैं। बौद्ध कक्षों को मिलना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है।

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पहले भी मिल चुके हैं बर्तन, गहने और हथियार

वडनगर में ही खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को हजारों वर्ष पुराने मिट्टी के बर्तन, गहनों और खेती के औजार भी मिले हैं। इनसे ये पता चलता है कि वडनगर के कुछ इलाकों में उस दौरान खेती का काम किया जाता था।

आपको बता दें कि भारत में हड़प्पा सभ्यता ही सबसे प्राचीन मानी गई है। हालांकि 16वीं सदी में पश्चिमी देशों से लोग भारत आए और यहां की सम्पदा का उपभोग करने लगे।