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Arun Jaitley ने बतौर वित्त मंत्री लिए कई अहम फैसले, भारतीय अर्थव्यवस्था को दिया एक नया मुकाम

locationनई दिल्लीPublished: Aug 24, 2020 04:54:27 pm

BJP Leader और Former Finance Minister Arun Jaitley ने लिए कई अहम फैसले
GST समेत अरुण जेटली के अहम फैसलों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को दिया नया मुकाम
बैकिंग सुधार हो या फिर पारदर्शिता बढ़ाना, जेटली ने कई जरूरी कदम उठाए

Arun Jaitley

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ( Arun Jaitley ) की आज पहली पुण्यतिथि है। पिछले वर्ष 24 अगस्त को अरुण जेटली ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। अपने राजनीति सफर में अरुण जेटली ने कई बड़े मुकाम हासिल किए, लेकिन बतौर वित्त मंत्री उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था ( Indian Economy ) के लिए मिल का पत्थर कहे जाने वाले फैसले भी लिए।
भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज विकास और कर सुधारों के क्षेत्र में अरुण जेटली ने कई अहम निर्णय लिए। इन फैसलों में गुड्स एंड सर्विस टैक्स ( GST ) सबसे अहम फैसला रहा। आईए डालते हैं भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अरुण जेटली की ओर से उठाए अहम गए फैसलों पर नजर।
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सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म GST
गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स को देश में अब तक का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म कहा जा सकता है। खास बात यह है जीएसटी को लागू करने में अरुण जेटली की अहम भूमिका रही। सभी राज्यों को इस टैक्स के लिए एकमत करने के पीछे भी जेटली की कड़ी मेहनत थी। जुलाई 2017 में जब GST लागू हुई तो पहले काफी समस्याएं आईं विरोधियों ने भी निशाना साधा, लेकिन धीरे-धीरे इसके फायदे नजर आने लगे। टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया को आसान और बिजनस फ्रेंडली बनाने के साथ-साथ दरों में संशोधन कर आम उपभोक्ता को बड़ा लाभ पहुंचाया।
IBC के जरिए बैंकिंग व्यवस्था में सुधार
अरुण जेटली के भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदानों में इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) को भी बड़ा कदम माना जा सकता है। बैंकिंग व्यवस्था में ढांचागत सुधार के तहत यह कानून बनाया गया। बैंक से बड़े-बड़े कर्ज लेकर उन्हें गटक जाने वाली कंपनियों और पूंजीपतियों में खौफ के लिए इस तरह के कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी, इसे जेटली ने लाकर बड़ा कदम उठाया।
MPC के गठन से मौद्रिक नीति में पारदर्शिता
अरुण जेटली के अर्थव्यवस्था को लेकर लिए गए अहम फैसलों में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ( MPC ) का गठन भी एक था। इसके जरिए मौद्रिक नीति बनाने में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना अहम मकसद रहा। इस कमेटी की अगुवाई आरबीआई गवर्नर करता है और इनका काम ब्याज दरों को तय करना है। 6 सदस्यों वाली इस कमेटी में तीन आरबीआई से और तीन सरकार के सदस्य शामिल हैं।
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हर वर्ष चार बैठकें आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा जेटली ने नॉम परफॉर्मिंग असेट्स यानी NPA की सफाई पर खासा ध्यान दिया। इसके साथ ही बैंकों का एकीकरण और राजकोषीय घाटे और महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए भी अरुण जेटली ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। अरुण जेटली के प्रयासों के चलते ही डिफेंस, इंश्योरेंस और एविएशन जैसे सेक्टर भी FDI के लिए खोले गए।
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