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अयोध्या विवाद: हिंदू महासभा की अर्जी सुप्रीमकोर्ट में खारिज, CJI का जल्द सुनवाई से इनकार

प्रधान न्यायाधीश की बेंच ने कहा इस मामले में जल्दी सुनवाई करने की जरूरत नहीं है।

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नई दिल्ली। अयोध्या विवाद अभी देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में है। इस बीच हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई को लेकर एक याचिका दाखिल की, जिसे सोमवार को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट इस मामले में सुनवाई की तारीख दे चुकी है। कोर्ट अनुसार इस मामले में किसी जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। कोर्ट इस पर तय तारीख पर ही सुनवाई करेगा।

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जनवरी में होगी सुनवाई की तारीख तय

सुपीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन से संबंधित मामले की सुनवाई जनवरी तक स्थगित कर दी थी। इस मामले पर चल रहे विवाद पर 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ को सुनवाई करनी थी, लेकिन इसे जनवरी तक के लिए टाल दिया गया था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि जनवरी 2019 में यह मामला उचित पीठ के समक्ष पेश किया जाएगा। इस बीच, हिंदू-मुस्लिम दोनों ही पक्षकारों ने मामले में नेताओं को राजनीति न करने की नसीहत दी है, हालांकि मुद्दे पर नेताओं की बयानबाजी कम नहीं हो रही है।

मामले के तीन पक्षकार

आपको बता दें कि अयोध्या मामले में तीन पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान हैं। इससे पहले 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ जमीन को इस मामले के तीनों पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई विवादित भूमि को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर है।