
नई दिल्ली। अयोध्या में विवादित जमीन पर मालिकाना हक की लड़ाई के बीच मुस्लिम पक्षकारों ने हिंदू संगठनों की शिकायत की है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और बाहर हिंदू संगठन लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। शिकायतकर्ता ने इसे अदालत की अवमानना की तरह का मामला बताया। इस पर बहस के दौरान 1994 में दिए गए इस्माइल फारुखी के फैसले का भी हवाला दिया गया।
'बयानबाजी के जरिए बना रहे दबाव'
मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि लोगों को कोर्ट के बाहर बयान देने से बचना चाहिए। उनका कहना है कि कोर्ट के फैसले से पहले बयानबाजी करके लगातार दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
'ड्राफ्ट तैयार लेकिन अर्जी नहीं दाखिल की'
धवन ने कहा, 'जजमेंट से पहले इस तरह की बयानबाजी पर रोक लगना चाहिए। इस तरह की बयानबाजी से अदालत की अवमानना होती है। हमने इस मामले में अर्जी दाखिल करने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया था, हालांकि अभी अर्जी दाखिल नहीं की है।'
इस्माइल फारुखी के फैसले पर भी चर्चा
मुस्लिम पक्ष कि तरफ से यह भी कहा गया कि हिन्दू पक्ष की तरफ से भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के सबूत होने की बात कही गई है लेकिन इस पर चर्चा तभी होगी जब यह तय होगा कि इस्माइल फारुखी के फैसले को संवैधानिक पीठ में समीक्षा के लिए भेजा जाए या नहीं। यह फैसला नमाज मस्जिद में ही पढ़े जाने की अनिवार्यता को लेकर था। सुप्रीम कोर्ट में अभी इस बात पर बहस हो रही है कि इस्माइल फारुखी के फैसले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा जाए या नहीं।
Published on:
15 May 2018 09:23 pm
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
