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बाबरी विध्वंस केस: आडवाणी-जोशी-उमा की मुश्किलें अभी नहीं हुईं कम, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड करने जा रहा ये काम

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस ( Babri Masjid Demolition Case) में बरी हुए लोगों की मुश्किलें बरकरार CBI कोर्ट के फैसले को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( All India Muslim Personal Law Board ) हाईकोर्ट में देगा चुनौती

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Kaushlendra Pathak

Oct 17, 2020

Babri Masjid Demolition: All India Muslim Personal Law Board Challenge CBI Court Verdict

सीबीआई कोर्ट के फैसले को मुस्लि लॉ बोर्ड हाईकोर्ट में देगा चुनौती।

नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद विध्वंस ( Babri Masjid Demolition Case) केस में सीबीआई कोर्ट ( CBI Court ) ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ( Lal Krishna Advani ), मुरली मनोहर जोशी ( Murli Manohar Joshi ), उमा भारती ( Uma Bharti ) समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर चुका है। इन सभी को साक्ष्य के अभाव में बरी किया गया है। लेकिन, इन सभी की मुश्किलें अभी खत्म होते हुए नजर नहीं आ रही हैं। क्योंकि, सीबीआई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( All India Muslim Personal Law Board ) ने हाई कोर्ट में जाने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्चुअल मीटिंग में यह फैसला लिया गया है।

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बाबरी विध्वंस केस में नया मोड़

जानकारी के मुताबिक, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दो दिनों से मीटिंग चल रही थी। इस बैठक में बाबरी विध्वंस मामले को भी उठाया गया। क्योंकि, सीबीआई कोर्ट ने बाबरी विध्वंस को लेकर जो फैसला सुनाया था। उससे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नाराज था। बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने तो इस पूरे फैसले पर काफी हैरानी भी जताई थी। लिहाजा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में उस मुद्दो को उठाया गया और हाईकोर्ट में सीबीआई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का एक सहमत से निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि सितंबर महीने में सीबीआई की विशेष अदलात ने तकरीबन 28 साल बाद बाबरी विध्वंस केस में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में साक्ष्य के अभाव में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था। हालांकि, उस वक्त भी कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

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CBI कोर्ट के फैसले पर उठा सवाल

बोर्ड के सचीव जफरयाब जिलानी ने कहा था कि सीबीआई कोर्ट का यह फैसला पूरी तरह से नाइंसाफी है। वहीं, AIMPLB के सचिव मौलाना वली रहमानी ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक पत्र जारी कर इसे नाइंसाफी बताया था और कहा था कि यह नाइंसाफी का यह एक मिसाल है। मौलाना वली रहमानी ने यह भी कहा था कि यह फैसला पूरी तरह न्याय से दूर है। उनका कहना था कि इस मामले में कोर्ट ने भले ही कोई फैसला सुनाया था। लेकिन, सबने वीडियो और तस्वीरों में देखा था कि किस तरह से बाबरी विध्वंस हुआ था। बैठक में राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का मामला भी उठा गया है। अब देखना ये है कि कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हाईकोर्ट में कब तक चुनौती देता है।