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भारत बायोटेक की Covaxin को बड़ी कामयाबी, तीसरी खुराक के ट्रायल के लिए मिली मंजूरी

Published: Apr 02, 2021 10:26:16 am

Coronavirus संकट के बीच भारत बायोटेक की Covaxin को मिली तीसरी खुराक के ट्रायल की मंजूरी

Bharat Biotech Covaxin

कोवैक्सीन की तीसरी खुराक के ट्रायल को मिली मंजूरी

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। कई राज्यों में हालात काफी चिंताजनक है। खास तौर पर महाराष्ट्र में स्थिति काफी डराने वाली है। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है।
भारत के शीर्ष ड्रग रेग्युलेटर की एक सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने भारत बायोटेक को उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन कोवैक्सीन ( Covaxin ) की तीसरी खुराक का ट्रायल करने की मंजूरी दे दी है।
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टीका निर्माता भारत बायोटेक को ड्रग रेग्युलेटर के एसईसी ने बड़ी राहत दी है। सीईसी की ओर से भारत बायोटेक के वैक्सीन की तीसरी खुराक के ट्रायल को मंजूरी दे दी गई है।
इन लोगों पर ही होगा ट्रायल
भारत बायोटेक की ओर से दिए गए प्रस्ताव की प्रतिक्रिया में, एसईसी ने बूस्टर डोज स्टडी को फेज 2 क्लिनिकल ट्रायल के उन वालिंटियर्स पर ही करने की सिफारिश की है, जिनको कोवैक्सीन की दो खुराकें मिल चुकी हों।
यानी कोवैक्सीन को दो खुराक लगवाने वाले वॉलिंटियर्स जिन्हें पहली और दूसरी खुराक के ट्रायल के लिए चुना गया था, उन पर ही तीसरी खुराक का ट्रायल किया जाएगा।

6 महीने बाद दी जाएगी तीसरी खुराक
एसईसी ने वॉलिंटियर्स को दूसरी खुराक के 6 महीने बाद तीसरी खुराक देने की मंजूरी दी है। यानी जिन प्रतिभागियों पर दो खुराका ट्रायल हो चुका है, उन्हें दूसरी खुराक के ट्रायल के करीब 180 दिन बाद ही तीसरी खुराक का ट्रायल किया जाएगा।
आपको बता दें कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि क्योंकि वैक्सीन के असर को लेकर लगातार ये कहा जा रहा है कि इसकी अवधि 6 महीने तक हो सकती है।

6 महीने तक देना होगा ध्यान
भारत बायोटेक से एसईसी ने ये भी कहा है कि वो तीसरी खुराक देने के बाद भी कम से कम 6 महीने तक ऑब्जर्व करे। इन वॉलिंटियर्स पर ध्यान दिया जाए।
अगस्त 2020 में शुरू हुए थे दूसरे चरण के ट्रायल
भारत बायोटेक कंपनी ने दूसरे चरण के ट्रायल बीते वर्ष अगस्त 2020 में शुरू किए थे। इस दौरान कंपनी ने 380 वॉलिंटियर्स को दो समूहों में बांटा था, जिनमें से एक को 3mcg का डोज दिया गया जबकि दूसरे को 6mcg का डोज दिया गया था।
आपको बता दें कि दोनों समूहों को एक महीने के अंतर से दोनों खुराकें दी गई थीं। दोनों ही समूहों की रिपोर्ट में ये बताया गया कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। इस दौरान 6 एमसीजी खुराक को बेहतर इम्यून प्रतिक्रिया के चलते चुना गया था।
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कंपनी ने मार्च में अपना अंतिम डेटा जारी करते हुए वैक्सीन के 81 फीसदी प्रभावी होने का दावा किया था।

आपको बता दें कि भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर कोवैक्सीन को विकसित किया है।
देशभर में चल रहे कोरोना वायरस टीकाकरण अभियान में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड के अलावा कोवैक्सीन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

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