बाढ़ की वजह से लाखों लोगों पर बेघर होने का खतरा बरकरार है। 16 जिलों के जलमग्न होने से जनजीवन से जुड़ी सभी गतिविधियां ठप हैं। बिहार सरकार ( Bihar Government ) ने बाढ़ पीड़ितों के लिए बचाव एवं राहत कार्य चलाए जा रहे हैं लेकिन सभी तैयारियां नाकाफी साबित हुई हैं। नीतीश सरकार ( Nitish Government ) भले ही ढेरों दावे कर लें, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
Rajnath Singh big announcement : रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, अब देश में ही बनेंगे 101 उपकरण 1342 सामुदायिक किचन चालू बिहार आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्रडु ने कहा है कि एनडीआरएफ ( NDRF ) और एसडीआरएफ ( SDRF ) की टीमें बचाव एवं राहत कार्य ( Relief work ) में लगी हुई हैं। 5 लाख 8 हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है। बाढ़ पीड़ितों को प्रतिदिन भोजन मुहैया कराने के लिए विभिन्न जिलों में 1342 सामुदायिक किचन ( Community Kitchen ) चलाए जा रहे हैं। यहां पर प्रतिदिन नौ लाख 87 हजार लोगों को भोजन कराया जा रहा है।
नेपाल के पानी से उत्तर बिहार बेहाल दूसरी तरफ नेपाल ( Nepal ) में बारिश थमने के बावजूद उत्तर बिहार ( North Bihar ) के कुछ जिलों में बाढ़ का संकट बरकरार है। बागमती व बूढ़ी गंडक के अलावा कमला व अधवारा नदियों का जलस्तर कुछ जगहों पर लाल निशान के करीब या उससे ऊपर है।
मुजफ्फरपुर के औराई, कटरा व गायघाट प्रखंड की पंचायतों में फैला बाढ़ का पानी कम तो हुआ है, लेकिन अभी पूरी तरह इलाके से उतरा नहीं है। इन प्रखंडों की कई पंचायतों में पानी अभी भी लगा हुआ है और लोगों की घर वापसी में अब भी देरी है।
Ex CAG Rajiv Mehrishi : एक बटन दबाने मात्र से पूरी दुनिया को डिफेंस ऑडिट रिपोर्ट नहीं दे सकते तिरहुत नहर के पानी से 2 दर्जन गांव जलमग्न वहीं, बूढ़ी गंडक के पानी से टूटे तिरहुत नहर का पानी अब भी पंचायतों में फैल रहा है। अब तक करीब दो दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। बाढ़ का पानी मुरौल से सकरा होते हुए मनियारी पंचायत के माध्यम से पातेपुर की ओर बढ़ रहा है।
दरभंगा में कमला नदी का जलस्तर ऊफान पर मिथिलांचन क्षेत्र दरभंगा मंडल में बागमती का जलस्तर बेनीबाद में खतरे के निशान के ऊपर बना हुआ है। जबकि अधवारा व कमला नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है। जिले के पश्चिमी इलाके में बाढ़ की स्थिति यथावत है। मोहल्लों में अब भी पानी भरा है और लोगों को आने जाने में कठिनाई हो रही है।
बाढ़ से प्रभावित लोग छत पर शरण लिए हुए हैं। करकौली में टूट रहे बांध की मरम्मत हो जाने के कारण हवाई अड्डा से संकट टल गया है। लेकिन हनुमान नगर, सिंहवाड़ा, कुशेश्वरस्थान आदि जगहों में अब भी बाढ़ का पानी जमा है।
मोतिहारी में बूढ़ी गंडक का जलस्तर अब भी बढ़ ही रहा है। जबकि गंडक नदी के जलस्तर में गिरावट दर्ज की गइ है। वाल्मीकिनगर बराज से गंडक में शनिवार को 1.51 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जिससे स्थिति और विकट हो गई है।