मंगलवार को राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया है। बिहार कैबिनेट ने पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों में तैनात शिक्षकों और लाइब्रेरी स्टाफ के हित में ये फैसले लिए हैं। इस फैसले से प्रदेश के करीब साढ़े तीन लाख से अधिक टीचरों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का लाभ भी दिया जाएगा, जो सितंबर 2020 से शुरू होगा।
तबादले का लाभ
दिव्यांग और महिला शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों को सेवा में एक बार दूसरे जिले में भी तबादला हो सकेगा। सरकार ने पुरुष शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्षों को दूसरे जिले में तबादले के लिए म्यूचुअल का प्रावधान किया है। वहीं, शिक्षकों के मूल वेतन में 15 फीसदी का इजाफा किया गया है।
शिक्षा विभाग ( Education Department ) के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने कहा, ईपीएएफ में 13 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार का होगा, वहीं 12 फीसदी शिक्षकों के पीएफ खाते में और एक प्रतिशत राशि ईपीएफओ को जाएगी। शिक्षकों को भी 12 फीसदी हिस्सेदारी देनी होगी। आपको बता दें कि ईपीएफ का लाभ दिया जाना भी एक तरह से वेतन वृद्धि ही है। राज्य सरकार का कहना है कि इससे सरकार पर सालाना 815 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और वेतन वृद्धि से सालाना 1950 करोड़ का बोझ पड़ेगा। इस तरह सरकारी खजाने पर कुल 2765 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।