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Kangana की याचिका पर बंबई HC ने फैसला रखा सुरक्षित, बीएमसी पर लटकी इस बात की तलवार

locationनई दिल्लीPublished: Oct 05, 2020 01:49:08 pm

Submitted by:

Dhirendra

 

कंगना रनौत की याचिका पर बंबई हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी।
बीएमसी पर है शिवसेना के इशारे पर कार्रवाई करने का आरोप।
बीएमसी ने कंगना के ऑफिस को गिराने से पहले सफाई पेश करने का समय नहीं दिया।

bmc vs kangana

कंगना रनौत की याचिका पर बंबई हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी।

नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत केस में फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ( Kangana Ranaut ) की याचिका पर बीएमसी अदालत में बुरी तरह फंस गई है। तथाकथित महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना के इशारे पर पक्षपातपूर्ण तरीके से कंगना के ऑफिस के कुछ हिस्सों को गिराने के मामले में अदालत बीएमसी के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
इस मामले में सोमवार को बीएमसी के खिलाफ सुनवाई समाप्त होने के बाद बंबई हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। माना जा रहा है कि भेदभावपूर्ण कारवाई के इस मामले में बीएमसी के खिलाफ अदालत फैसला सुना सकती है।
कंगना बनाम बीएमसी के इस मामले में आज कोर्ट को सूचित किया गया कि इस केस से जुड़े सभी पक्षों ने अपना पक्ष लिखित में रखा है। इसके बाद सुनवाई को समाप्त कर दी गई। साथ ही हाईकोर्ट ने अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया।
बीएमसी पर तलवार लटकने के पीछे मुख्य वजह यह है कि वो अदालत के सामने अपनी कार्रवाई को तार्किक आधार पर सुनवाई पूरी होने तक सही साबित नहीं कर पाई। सुनवाई के दौरान बंबई उच्च न्यायालय ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका से पूछा था कि क्या उसने अनधिकृत निर्माण के अन्य मामलों में भी इतनी ही तेजी से कार्रवाई की, जितनी कि कंगना रनौत के बंगले के मामले की गई।
नोटिस का जवाब देने के लिए केवल 24 घंटे का समय दिया

इस मामले में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की ओर से अदालत के सामने पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेंद्र सर्राफ ने अदालत को बताया कि बीएमसी ने नोटिस का जवाब देने के लिए केवल 24 घंटे का समय दिया था। उन्होंने कहा था कि बीएमसी ने जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिए बिना ही कार्रवाई शुरू कर दी।
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शहर का नजारा कुछ और होता

बीएमसी के इस कार्रवाई के खिलाफ 9 सितंबर को जब कंगना ने ध्वस्तीकरण के खिलाफ पहली बार बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। कंगना की याचिका पर अदालत ने बीएमसी की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति कथावाला ने बीएमसी की त्वरित कार्रवाई पर सवाल उठाया था। अदालत ने कहा था कि अगर नगर निकाय ने इतनी ही तेजी अन्य मामलों में दिखाई होती तो शहर बहुत अलग होता।
बता दें कि कंगना रनौत द्वारा सुशांत मामले में महाराष्ट्र सरकार की आलोचनात्मक टिप्पणी किए जाने के बाद से शिवसेना के साथ उनकी तलवार खिंची हुई है। वर्तमान में बीएमसी पर शिवसेना काबिज है। माना जा रहा है कि शिवसेना के इशारे पर बीएमसी ने कंगना के ऑफिस के कुछ हिस्सों को गिराने का काम किया था।
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