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CBSE पेपर लीकः दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गूगल से मांगी मदद, मांगी ये जानकारी

सीबीएसइ पेपर लीक मामले में अब दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गूगल से भी मदद मांगी है। इसके अलावा विसलब्लोअर की तलाश भी तेजी से जारी है।

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नई दिल्ली। सीबीएसई पेपर लीक मामले की जांच के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अब गूगल से भी मदद मांगी है। क्राइम ब्रांच ने गूगल से उस ई-मेल के बारे में जवाब मांगा है, जिसमें हाथ से लिखे प्रश्नपत्रों की फोटो अटैच करके भेजी गई थीं। इसके साथ ही क्राइम ब्रांच उस विसलब्लोअर को भी ढूंढ रही है, जिसने सीबीएसइ चेयरपर्सन को परीक्षा से कई घंटे पहले ही एक ई-मेल के जरिये चेतावनी दी थी।

वॉट्सऐप ग्रुप्स की भी हुई पहचान
सीबीएसइ की परीक्षा में 10वीं का गणित और 12वीं का अर्थशास्त्र का परीक्षा पत्र लीक हुआ था, जिसके चलते ये दोनों पेपर फिर से करवाए जा रहे हैं। दोबारा परीक्षा देने का कई छात्र विरोध कर रहे हैं और सीबीएसइ के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं। वॉट्सऐप के जरिए पेपर की धड़ाधड़ शेयरिंग हुई। क्राइम ब्रांच ने 10 से ज्यादा ऐसे वॉट्सऐप ग्रुप्स की भी पहचान की है, जो इस अपराध में शामिल थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इनमें से हर ग्रुप में करीब 50-60 सदस्य थे।

जावड़ेकर के घर के बाहर लगी धारा 144
दिल्ली पुलिस इस मामले में लगातार जांच में जुटी है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी शुक्रवार को पांच छात्रों से मुलाकात की है। छात्रों ने सीबीएसइ चेयरमैन के इस्तीफे की मांग की है और केंद्रीय मंत्री से यह भी कहा कि बोर्ड की गलती की सजा सभी छात्रों को नहीं मिलनी चाहिए। छात्रों और एनएसयूआइ के प्रदर्शन को देखते हुए जावड़ेकर के घर पर धारा 144 भी लगाई गई।

सियासी बयानबाजी भी जोरों पर
पेपर लीक मामले में कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर तंज कस रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, 'पीएम ने एग्जाम वॉरियर्स किताब लिखी, जो परीक्षा के दौरान छात्रों का तनाव दूर करने के लिए है। अब उन्हें एग्जाम वॉरियर्स 2 लिखनी चाहिए, जिसे पेपर्स लीक होने के कारण तबाह हुई स्टूडेंट्स और पैरंट्स की जिंदगियों के बाद उनके तनाव को दूर करने के लिए पढ़ाया जाए।' कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे मानव संसाधन मंत्रालय की नाकामी करार दिया है। वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने अभिभावकों से अनुरोध किया कि वे अपने बच्चों को दोबारा परीक्षा में ना बैठने दें।