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Coronavirus: ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के पर्सनल यूज को मिली अनुमति, जाने कैसे करता है काम?

कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में हो रही बेतहाशा वृद्धि के साथ ही अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर से देश में त्राहिमाम मचा हुआ है। कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में हो रही बेतहाशा वृद्धि के साथ ही अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। नतीजा यह है कि हॉस्पिटल जहां कोविड मरीजों को भर्ती करने में आनाकानी कर रहे हैं, वहीं मरीज के तीमारदार ऑक्सीजन के एक अदद सिलेंडर के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। इस बीच सरकार ने विदेश व्यापार नीति में संशोधन करते हुए व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मशीन आयात करने की अनुमति दे दी है।

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वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी अधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मशीन को छूट वाली श्रेणियों में सूचीबद्ध किया गया है। जिसमें सीमा शुल्क को उपहार के तौर पर दर्ज किया गया है। विज्ञप्ति में बताया कि कोई भी नागरिक अपने खर्चे पर इन ऑक्सीजन कंसेट्रेटर को खरीद सकता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय की अधिसूचना के मुताबिक यह छूट 31 जुलाई 2021 तक जारी रहेगी। आपको बता दें कि

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर फंड से एक लाख पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर खरीदने को मंजूरी दी है। देश में ऑक्सीजन सप्लाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने जल्द से जल्द ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर खरीदने और उन्हें ज्यादा कोरोना केस वाले राज्यों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

इस बैठक में पांच सौ नए पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाने का भी निर्णय हुआ। ये प्लांट डीआरडीओ और सीएसआईआर के माध्यम से स्थापित होंगे। इसके पूर्व 713 प्लांट लगाने की प्रक्रिया पहले से चल रही है। ये प्लांट जिला मुख्यालयों के अस्पतालों में ऑक्सीजन व्यवस्था सुलभ करेंगे।

दरअसल, कोविड हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है और जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा खतरनाक स्तर तक गिर सकती है। ऐसी स्थिति में शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को स्वीकार्य स्तर तक बढ़ाने के लिए हमें ऑक्सीजन का उपयोग करके चिकित्सकीय ऑक्सीजन थेरेपी देने की जरूरत पड़ती है।

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शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 'ऑक्सीजन सेचूरेशन' के रूप में मापा जाता है जिसे संक्षेप में 'एसपीओ-टू' कहते हैं। यह रक्त में ऑक्सीजन ले जाने वाले हीमोग्लोबिन की मात्रा का माप है। सामान्य फेफड़ों वाले एक स्वस्थ व्यक्ति की धमनी में ऑक्सीजन सेचूरेशन 95 से 100 प्रतिशत होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के पल्स ऑक्सीमीट्री पर बनाए गये प्रशिक्षण मैनुअल के अनुसार यदि ऑक्सीजन सेचूरेशन 94 प्रतिशत या उससे कम हो तो रोगी को जल्द इलाज की जरूरत होती है। यदि सेचूरेशन 90 प्रतिशत से कम हो जाय तो वह चिकित्सकीय आपात स्थिति मानी जाती है।


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