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Chandrayaan-2: चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की अब तक 38 बार की जा चुकी है कोशिश, आधे में ही कामयाबी

वैज्ञानिकों ने पहले ही चेताया था कि चुनौतीपूर्ण है मिशन लैंडर विक्रम पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बनाया गया था हाल ही में इजराइल ने भी चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की थी

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मिशन चंद्रयान 2 को लेकर नए अपडेट्स सामने आ रहे हैं। चंद्रमा पर अंधेरा लगातार बढ़ने से विक्रम लैंडर से संपर्क करने की उम्मीद कम हो रही है। इसके बावजूद पूरी दुनिया की नजर भारत के इस मिशन पर है।

बता दें, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के ‘चंद्रयान-2’ मिशन के लैंडर विक्रम का लैंडिंग से कुछ ही देर पहले पृथ्वी से संपर्क टूट गया था। उस समय लैंडर चांद की सतह से महत 2.1 किलोमीटर ही ऊंचाई पर था। जबकि ‘विक्रम’ ने ‘रफ ब्रेकिंग’ और ‘फाइन ब्रेकिंग’ चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था। लेकिन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया।

ऐसे में कंट्रोल सेंटर में मौजूद वैज्ञानिकों के साथ-साथ लाइव देख रहे लोगों भी निराश हुए।

एक बार लगा कि फिर से संपर्क जुड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अगर भारत इस कोशिश में कामयाब रहता, तो इस उपलब्धि को हासिल करने वाले अमरीका, रूस और चीन के बाद चौथा देश होता। गौर हो, भारत ऐसा पहला देश नहीं, जिसने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया। इससे पहले भी कई बार अन्य देश चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश कर चुके हैं।

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वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कुल 38 बार कोशिश की जा चुकी है। जबकि इनमें से सिर्फ आधी बार ही सफलता मिली है। इसी वर्ष अप्रैल में इजरायल ने भी एक चांद की सतह पर स्पेसक्राफ्ट लैंड कराने का प्रयास किया था। लेकिन ऐन अंतिम क्षणों में सकी ये कोशिश नामाम हो गई थी।

जहां तक विक्रम की लैंडिंग का मामला है, तो वैज्ञानिकों ने पहले ही कहा था कि ये मिशन चुनौतीपूर्ण है। यह भी बताया था कि लैंडिंग के पहले के कुछ मिनट ज्यादा मुश्किल भरे होंगे।

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बता दें, दुनिया के कई दूसरे देश भी चांद की सतह पर उतरने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि चीन एक बार इस कोशिश में सफल हो चुका है। बताया जा रहा है कि आने वाले महीनों में वो एक बार फिर ऐसा प्रयास कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार- अमरीका 2024 तक चांद पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना पर काम कर रहा है।

गौर हो, चंद्रयान-2 मिशन के अंतर्गत चांद पर भेजा गया लैंडर विक्रम भारत का पहला स्वदेशी तकनीक की मदद से बना उपकरण था। इसका वजन 1,471 किलोग्राम था। लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया था। इसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था। इस लैंडर को एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बतराबर काम करना था।

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बता दें, लैंडर विक्रम के अंदर 27 किलोग्राम वजनी रोवर ‘प्रज्ञान’ था। यह सौर ऊर्जा से चलने वाला था और इसे उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था। इसरो के अनुसार- लैंडर में सतह और उपसतह पर प्रयोग करने के लिए तीन उपकरण लगे थे जबकि चंद्रमा की सहत को समझने के लिए रोवर में दो उपकरण लगे हुए थे।