
बेंगलूरु। बीते माह इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के महात्वाकांक्षी चंद्रयान-2 अभियान जब इतिहास बनाने जा रहा था, तभी अंतिम क्षणों में इसका विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया। चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव पर विक्रम लैंडर ने हार्ड लैंडिंग की और इस बात को तीन सप्ताह से ज्यादा का वक्त हो चुका है। पहले बताया गया था कि बीते 21 सितंबर को इससे संपर्क की कोशिशें खत्म हो गईं, लेकिन अब ताजा अपडेट यह है कि इसरो की उम्मीदें अभी खत्म नहीं हुई हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंगलवार को इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में बताया कि विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की प्रक्रिया जारी है।
बीते 7 सितंबर को विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के निर्धारित वक्त से कुछ मिनट पहले ग्राउंड स्टेशन का लैंडर से संपर्क टूट गया था। विक्रम लैंडर के भीतर प्रज्ञान रोवर है, जो चंद्रमा की सतह पर शोध करने के लिए भेजा गया था। इसके बाद 9 सितंबर को इसरो ने विक्रम लैंडर को चंद्रमा पर लोकेट कर लिया था।
इस मिशन को लेकर इसरो ने काफी तैयारी की थी। हालांकि विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के बाद इसरो संपर्क साधने की हर संभव कोशिश में जुटा रहा, लेकिन 10 दिन पूर्व चंद्रमा पर रात शुरू होने पर इसने संपर्क साधने की प्रक्रिया बंद कर दी थी।
इस संबंध में इसरो के चेयरमैन के सिवन ने बताया कि फिलहाल अभी यह संभव नहीं है क्योंकि वहां पर रात का वक्त है। शायद इसके बाद हम संभवता इसे (संपर्क साधने की कोशिश) शुरू करें। लैंडिंग साइट (विक्रम लैंडर की मौजूदा लोकेशन) पर रात है, इसलिए वहां पर शायद ऊर्जा नहीं होगी।
इसरो प्रमुख केवल यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि हम इसके बाद (चंद्रमा की सतह पर दिन शुरू होने पर) प्रयास भी शुरू करेंगे।
वहीं, इसरो के इस प्रयास को लेकर कई विशेषज्ञों की राय जुदा है। इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इतने दिनों बाद विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश बहुत मुश्किल है, लेकिन प्रयास करते रहने में कोई बुराई भी नहीं है।
गौरतलब है कि बीते बृहस्पतिवार को इसरो प्रमुख के सिवन ने अहमदाबाद में इंडियन सोसाइटी ऑफ सिस्टम्स फॉर साइंस एंड इंजीनियरिंग (आईएसएसई) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में चंद्रयान-2 मिशन को लेकर बयान दिया था।
उन्होंने कहा था कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर बेहद अच्छा काम कर रहा है और इससे जुड़े सभी कार्य शुरू हो चुके हैं और अच्छा संचालन कर रहे हैं। हालांकि ऑर्बिटर अच्छा काम कर रहा है और अभी तक लैंडर (विक्रम) से कोई सिग्नल नहीं मिल सका है।
इतना ही नहीं सिवन ने आगे कहा कि विक्रम लैंडर के साथ हुई परेशानियों को लेकर एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन कर दिया गया है। विक्रम लैंडर से जुड़ी रिपोर्ट के आधार पर इसरो भविष्य की कार्रवाई को निर्धारित कर रहा है।
इसरो प्रमुख के सिवन के इस बयान का मतलब है कि विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के बाद न केवल भारतीय बल्कि अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के प्रयासों का कोई फल नहीं निकलना, कई बड़े सवाल खड़े करता है। इस सवाल के जवाब ढूंढ़ने के लिए प्रयास किए जाने जरूरी है।
इस राष्ट्रीय स्तर की समिति के गठन का मतलब है कि इसमें अंतरिक्ष विज्ञान, प्रक्षेपण, भौतिकी, संचार समेत चंद्रयान-2 जैसे मिशन के विशेषज्ञों का शामिल किया जाएगा। विभिन्न विशेषज्ञों की यह समिति विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने, इसके लैंड करने और पुनः संपर्क न साध पाने को लेकर बारीकी से जांच करेगी, ताकि किसी पुख्ता नतीजे पर पहुंचा जा सके।
वहीं, इसरो प्रमुख ने इस दौरान भविष्य की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसरो स्मार्ट सैलेटलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलएलवी), आदित्य-L1 और गगनयान अभियान को लॉन्च किए जाने परर भी काम कर रही है।
उन्होंने कहा, "इसरो गगनयान अंतरिक्ष कार्यक्रम की तैयारी कर रही है। हम अंतरिक्ष के लिए दो अभियान भेजेंगे जिनमें कोई इंसान नहीं होगा। इनमें पहला 2020 के अंत तक और दूसरा अगस्त 2021 तक लॉन्च करने का लक्ष्य है, ताकि हम दिसंबर 2021 तक इंसान को भेजने वाला मिशन लॉन्च कर सकें।"
गौरतलब है कि गगनयान मिशन भारत का पहला ऐसा अभियान है जिसमें किसी इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
Updated on:
05 Oct 2019 03:09 am
Published on:
01 Oct 2019 05:08 pm
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