
नई दिल्ली। फिलहाल चंद्रयान-2 मिशन की सबसे बड़ी पहेली बने विक्रम लैंडर की स्थिति और संपर्क साधने की परेशानी के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। इस मिशन के लिए आने वाली 17 सितंबर की तारीख काफी महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि इस दिन पीएम मोदी का जन्मदिन मनाया जाता है, बल्कि इसलिए क्योंकि इस दिन नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) का ऑर्बिटर चंद्रमा के ऊपर ठीक उस स्थान पर पहुंचेंगा, जहां पर विक्रम लैंडर को लैंडिंग करनी थी।
दरअसल, अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस बात की पुष्टि की है। न्यूयॉर्क टाइम्स के पूछे गए एक सवाल के जवाब में नासा ने ईमेल से इस बात को कंफर्म किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर निर्धारित लैंडिंग साइट की कोई तस्वीर जारी नहीं की है। इसके चलते अभी तक वहां क्या स्थिति बनी हुई है और विक्रम लैंडर कैसा है, इस बारे में पता नहीं चल सका है।
हालांकि नासा की ओर से इसरो के लिए एक खुशखबरी है। नासा का चंद्रमा की कक्षा में एक टोही ऑर्बिटर परिक्रमा कर रहा है। आगामी 17 सितंबर को यह टोही ऑर्बिटर ठीक उस स्थान के ऊपर होगा, जहां पर विक्रम को लैंडिंग करनी थी।
संभावना जताई जा रही है कि नासा का यह टोही ऑर्बिटर उस लैंडिंग साइट के आसपास विक्रम लैंडर की तस्वीर खींच ले और स्थिति बताए।
नासा द्वारा न्यूयॉर्क टाइम्स को भेजेे गए ईमेल के मुताबिक, "इसरो को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट के संबंध में विश्लेषण करने में सहायता देने के लिए नासा संबंधित स्थान की पहले और बाद की ऊपर से ली गई तस्वीरें (फ्लाईओवर इमेजरी) मुहैया कराएगा।"
गौरतलब है कि बीते 22 जुलाई को इसरो के महात्वाकांक्षा चंद्रयान-2 मिशन को लॉन्च किया गया था। इस चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं जो ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर हैं।
बीते 7 सितंबर को विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहुंचना था, लेकिन लैंड करने से 2.1 किलोमीटर पहले ही इसका इसरो से संपर्क टूट गया।
फिलहाल चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर की लोकेशन का सही पता लगा चुका है। इसके बाद इसरो फिर से लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश में दिन-रात जुटा हुआ है।
Updated on:
13 Sept 2019 10:59 am
Published on:
13 Sept 2019 10:57 am
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