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चंद्रयान-3 की तैयारियों में जुटा इसरो, केंद्र के सामने रखा अलग बजट

Chandrayaan3 को लेकर आई सबसे बड़ी खबर इसरो ने केंद्र के सामने रखा नया बजट बताया किस चीज पर होने वाला है सबसे ज्यादा खर्च

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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) ने एक बार फिर मिशन चंद्रयान की तैयारी शुरू कर दी है। चंद्रयान-2 के बाद अब इसरो चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारियों में जुटा है। यहां तक कि इसरो ने इसके लिए केंद्र के अलग से बजट भी मांगा है।

इसरो ने मिशन चंद्रयान-3 के लिए केंद्र सरकार से 75 करोड़ रुपये का बजट भी रखा है। खास बात यह है कि यह इसरो को पहले से मिले तय बजट के अलावा सिर्फ इस मिशन के लिए मांगा गया है। वित्त मंत्रालय से इसे लेकर पुष्टि की गई है कि इसरो की ओर से चंद्रयान-3 के लिए बजट मांगा गया है।

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पूरे खर्चे का दिया ब्यौरा
इसरो ने चंद्रयान-3 के लिए केंद्र के सामने जो बजट रखा है उसमें किस चीज पर कितना खर्च किया जाएगा, इसकी पूरी जानकारी भी दी है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के सप्लिमेंटरी बजट के प्रावधानों के तहत यह बजट मांगा गया है। इसमें से 60 करोड़ रुपये मशीनरी, उपकरण और दूसरे खर्चों के लिए और बाकी 15 करोड़ रेवेन्यू खर्च के अंतर्गत मांगे गए हैं।

चंद्रयान-2 की सफलता को देखते हुए इसरो के हर मिशन पर अब केंद्र सरकार नजर रख रही है। यही वजह है कि इसरो को आश्वासन दिया गया है कि उसे चंद्रयान-3 के लिए पैसे दिए जाएंगे, लेकिन प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।

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666 करोड़ का बजट
इसरो ने 2019-2020 के दौरान कुल 666 करोड़ रुपये का बजट मांगा है, जिसमें से 11 फीसदी से ज्यादा सिर्फ चंद्रयान-3 के लिए मांगा गया है।

666 करोड़ में से 8.6 करोड़ रुपये 2022 के प्रस्तावित ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम, 12 करोड़ स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल और 120 करोड़ लॉन्चपैड के डिवेलपमेंट के लिए मांगे गए हैं।

सबसे ज्यादा डिमांड यूआर राव सैटलाइट सेंटर और सतीश धवन स्पेस सेंटर के लिए की गई है। दोनों के लिए 516 करोड़ रुपये मांगे गए हैं।

चंद्रयान- 2 की लैंडिंग में हुई थी समस्या
आपको बता दें कि इससे पहले इसरो चंद्रयान और चंद्रयान-2 मिशन पर काम कर चुका है। चंद्रयान में जहां सिर्फ एक ऑर्बिटर चांद तक भेजा गया था, वहीं चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे गए थे।


इसरो का मिशन लैंडर को चांद की सतह पर लैंड कराना था, लेकिन क्रैश लैंडिंग के कारण उस मिशन का यह हिस्सा सफल नहीं हो सका था। हालांकि, ऑर्बिटर चांद की कक्षा में चक्कर काट रहा है और अपना काम सही से कर रहा है।