
बेंगलूरु। चांद की सतह पर उतरने के लिए चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम बुधवार तड़के और एक कदम आगे बढ़ गया। 4 सितंबर को विक्रम लैंडर तड़के 3.45 बजे चांद के सबसे नजदीक कक्षा में पहुंच गया। अब चांद के सतह से लैंडर की दूरी महज 35 किमी रह गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा है कि लैंडर का दूसरा डी-आर्बिटिंग मैनुवर सफलता पूर्वक पूरा कर लिया गया है।
इसके लिए विक्रम के प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करते हुए 9 सेकेंड तक रेट्रो लैम फायरिंग की गई। प्रक्रिया पूरी होने के बाद लैंडर की कक्षा 104 किमी गुणा 128 किमी से घटकर 35 किमी गुणा 125 किमी रह गई। यानी, इस कक्षा में लैंडर चांद की सतह से 35 किमी न्यूतम दूरी (पेरिलून) और 104 किमी अधिकतम दूरी (एपोलून) पर चक्कर लगा रहा है।
7 सितंबर को चंद्रमा पर उतरेगा चंद्रयान
चंद्रयान-2 के आर्बिटर का पेरिलून 96 किमी और एपोलून 125 किमी है। आर्बिटर चंद्र्रमा की इसी कक्षा में परिक्रमा करता रहेगा। जब 7 सितम्बर को लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव से 35 किमी के आसपास रहेगा तभी उसे चांद पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इसरो ने कहा है कि दूसरे डी-आर्बिटिंग मैनुवर के बाद चंद्रयान-2 सही हालत में है और मिशन पूर्व निर्धारित मानदंडों के अनुसार प्रगति पर है। वैज्ञानिकों को भरोसा है कि वे विक्रम को चांद की धरती पर सफलतापूर्वक उतारकर इतिहास रचेंगे।
Updated on:
04 Sept 2019 03:29 pm
Published on:
04 Sept 2019 09:31 am
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