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हलफनामे में गलत जानकारी देने पर 2 साल की सजा की मांग, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कानून मंत्री को लिखा पत्र

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर लंबित चुनावी सुधारों पर केंद्र सरकार की सिफारिशों पर तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

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Sushil Chandra

Sushil Chandra

नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर लंबित चुनावी सुधारों पर केंद्र सरकार की सिफारिशों पर तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है। अगस्त 2019 में चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रियाओं से संबंधित सुधारों के संबंध में केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें भेजीं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने के लिए दो साल की जेल के प्रावधान सहित कई चुनाव सुधारों से संबंधित प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं।

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लंबित चुनावी सुधारों की सिफारिश
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार चुनाव आयोग के प्रस्तावों पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों को लागू करने के लिए चुनावी कानूनों में संशोधन की जरूरत है। इस संदर्भ में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने एक साक्षात्कार में कहा, मैंने केंद्रीय कानून मंत्री को लंबित चुनावी सुधारों के संबंध में केंद्र सरकार की सिफारिशों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए लिखा है। यह पत्र पिछले महीने भेजा गया था। मुझे उम्मीद है कि कानून मंत्रालय तदनुसार त्वरित कार्रवाई करेगा।

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2 साल की सजा और 6 साल तक नहीं लड़ेगे चुनाव
नामांकन दाखिल करते समय हलफनामे में गलत जानकारी देने वालों के लिए मौजूदा 6 महीने की कैद की सजा को बढ़ाकर 2 साल करने की अहम सिफारिश है। 2 साल कैद की सजा पाने वाले उम्मीदवार 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। सुशील चंद्र ने कहा कि चुनाव आयोग ने अलग-अलग जगहों पर मतदाता सूची में मतदाता का नाम शामिल करने से परहेज करते हुए मतदाता विवरण को आधार संख्या से जोड़ने के लिए कदम उठाए हैं। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे बैन कर दिया था। अब अनुरोध किया जा रहा है कि उन गतिविधियों को अंजाम देने के लिए चुनावी कानून में जरूरी बदलाव किए जाएं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने याद दिलाया कि आयोग ने चुनाव प्रचार के खत्म होने और मतदान के दिन के बीच वाले समय ‘साइलेंट पीरियड’ के दौरान अखबारों में राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने का भी प्रस्ताव दिया है ताकि मतदाता प्रभावित नहीं हो।