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महाभियोग: SC से झटका खाने के बाद संभली कांग्रेस, याचिका ली वापस

Published: May 08, 2018 01:48:48 pm

Submitted by:

Dhirendra

चीफ जस्टिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को और किरकिरी से बचने के लिए कांग्रेस ने वापस ले ली है।

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नई दिल्‍ली। नाटकीय अंदाज में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका कांग्रेस ने वापस ले ली है। इसके बाद पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कांग्रेस की याचिका को खारिज घोषित कर दिया। एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा और अमी हर्षाद्रय ने अपनी याचिका दायर की थी। सोमवार को कांग्रेस सांसदों ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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निराशजनक और दुर्भाग्‍यपूर्ण
वकील प्रशांत भूषण ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस याचिका को सर्वोच्च न्यायालय के कोर्ट नंबर दो में लाया गया था। ये मामला सीधा चीफ जस्टिस से जुड़ा था। इसलिए इसे उनकी कोर्ट में नहीं रखा जा सकता था। इसलिए इस मामले में चीफ जस्टिस अपनी मास्टर ऑफ रोस्टर के अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे। प्रशांत भूषण ने कहा कि यह बहुत निराशाजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि संवैधानिक पीठ ने प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी शेयर करने से इंकार कर दिया। भूषण ने कहा कि सर्वोच्च अदालत के कोर्ट नंबर दो जस्टिस चेलमेश्‍वर ने सोमवार कहा था कि इस पर हम विचार करेंगे। उन्‍होंने हमें मंगलवार सुबह साढ़े दस बजे आने के लिए कहा था। लेकिन कल रात को अचानक सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से लिस्ट जारी हुई जिसमें इसी केस को कोर्ट नंबर 6 में पांच जजों की संविधान पीठ को सुपुर्द कर दिया गया। जबकि इसके लिए पहले ऑर्डर जारी होना जरूरी होता है, पर ऐसा नहीं किया गया।
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कपिल सिब्‍बल ने मांगी आदेश की कॉपी
इस मामले मंगलवार को सुनवाई शुरू होने के बाद याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने पांच जजों की पीठ से कहा कि हमें ये बताइए कि किस आदेश से ये मामला संविधान पीठ के सामने लिस्ट किया गया है। बिना जुडिशल ऑर्डर के कोई मामला पांच जजों की खंडपीठ के सुपुर्द नहीं किया जा सकता। अगर चीफ जस्टिस ने अपने मास्टर ऑफ रोस्टर के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ये आदेश जारी किया है तो उसे चुनौती देने का अधिकार हमारे पास है क्योंकि कोई भी प्रशासनिक आदेश किसी भी प्रशासनिक प्राधिकरण ने दिया हो, चाहे वो चीफ जस्टिस ही क्यों न हो, उसे चुनौती देने का अधिकार संविधान में न्यायिक समीक्षा के अधिकार के तहत हमारे पास है। सिब्बल ने कहा कि हमें ये ऑर्डर की कॉपी तो दीजिए जिससे हम ये देख सकें कि किसने और किस आधार पर ये ऑर्डर जारी किया है।
पीठ ने मेरिट बहस करने को कहा
इसके बदले जस्टिस सीकरी की अध्‍यक्षता में बनी पांच जजों की पीठ ने याचिकाकर्ता वकील से कहा आप इस केस पर मेरिट के आधार पर बहस करें। हम इस पहलू पर गौर नहीं करना चाहते कि ऑर्डर किसने दिया। आप इतना समझें कि हमारे पर ऑर्डर है। इसलिए आप इस केस के मेरिट्स पर विचार कीजिए। कपिल सिब्बल ने ये कहा कि अगर आप हमें उस आदेश की कॉपी भी नहीं दे सकते हैं और हमें उसे चुनौती देने की भी इजाजत नहीं दे रहे हैं तो हमें ऐसी स्थिति में इस पर आगे बढ़ना ठीक नहीं लगता। हमको अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत दी जाए। इस पर जजों की पीठ ने कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया।
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