MIT के ताजा अध्ययन के मुताबिक मौसम अगर गर्म और नमी भरा होगा तो इससे कोरोना वायरस के फैलने की आशंका बहुत कम हो जाएगी। इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों में तापमान 3 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा और नमी 4 से 9 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही, वहां कोरोना वायरस के मामले 90 फीसदी पाए गए हैं। जबकि जिन देशों में तापमान 18 डिग्री से ज्यादा रहा और नमी 9 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा रही वहां पर ऐसे मामले 6 फीसदी ही सामने आए।
Coronavirus: मोदी के लॉकडाउन को लागू कर बस्तर के आदिवासियों ने पेश की मिसाल एमआईटी के अध्ययन में अमरीका ( America ) के ही गर्म और ठंडे इलाके में कोरोना के कहर में अंतर का भी जिक्र है। दरअसल, अमरीका के उत्तरी राज्यों में ठंड ज्यादा है। यही कारण है कि दक्षिण के गर्म राज्यों की तुलना में कोरोना के मामले उत्तरी राज्यों में दोगुना आए हैं। इस अध्ययन में ये भी कहा गया है कि भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और अफ्रीकी देशों में कोरोना के मामले गर्म मौसम के कारण कम आए हैं। जबकि इन देशों में घनी आबादी है और स्वास्थ्य सुविधाएं भी चीन, यूरोप और अमरीका की तुलना में बहुत कमजोर है।
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गर्मी ला सकती है भारत के लिए राहत अमरीका और यूरोप के तमाम देशों में जितनी बर्बादी कोरोना से हुई है उनकी तुलना में भारत ( India) के लिए राहत की बात है कि 130 करोड़ की आबादी में कोरोना के मामले भी कम हैं और मौत का आंकड़ा भी। ऐसे में अगर एमआईटी की रिपोर्ट सही निकलती है तो भारत के लिए इससे बड़ी राहत की बात नहीं होगी। एमआईटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि आगामी कुछ दिनों में भारत में तापमान में तेजी से बढ़ोतरी की संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो कोरोना इंडिया में खास प्रभाव नहीं छोड़ पाएगा।
बता दें कि गर्मी का मौसम आते ही लोग परेशान हो जाते हैं। इस बार कोरोना का कहर ऐसा है कि लोग गर्मी का स्वागत करना को बेताब हैं। माना जा रहा है कि कोरोना के वायरस के खिलाफ गर्म मौसम ही सबसे बड़े इलाज साबित होगा। वैसे ही हिंदुस्तान में इस वक्त पारा थोड़ा नीचे है लेकिन जैसे ही सूरज की तपिश बढ़ेगी, कोरोना से बचने की उम्मीदें भी बढ़ेंगी। ये उम्मीद दुनिया के जाने-माने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी एमआईटी ने जगाई है।